हैप्पीसीडर के उपयोग परली जलाने पर लगेगा अंकुश : डॉ. मनदीप
संगरूर धान के अवशेष को आग लगाने की बजाए इसे खेत में ही संभाल कर गेहूं की बिजाई पूरी करने के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी के सहयोगी निर्देशक सिखलाई डॉ. मनदीप ¨सह ने कहा कि किसानों को हैपीसीडर के उपयोग के कारण बिना खेत तैयार की व पराली को बिना फूंके गेहूं की बिजाई करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
धान के अवशेष को आग लगाने की बजाए इसे खेत में ही संभाल कर गेहूं की बिजाई पूरी करने के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र खेड़ी के सहयोगी निर्देशक सिखलाई डॉ. मनदीप ¨सह ने कहा कि किसानों को हैप्पीसीडर के उपयोग के कारण बिना खेत तैयार की व पराली को बिना फूंके गेहूं की बिजाई करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को धान की पराली को न फूंकने की सलाह दी जा रही है ताकि इसे खेत में ही गलाकर मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाया जा सके। डॉ. मनदीप ¨सह ने बताया कि पराली के योग्य निपटारे के लिए खेती मशीनरी के उपयोग संबंधी किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने चार गांवों के किसानों के उपयोग के लिए हैपीसीडर भेजे हैं। केंद्र के माहिर किसानों को 550 एकड़ जमीन में हैपीसीडर से सीधी बिजाई संबंधी शिक्षित कर रहे हैं। इस उद्देश्य के लिए संगरूर जिले के चार गांवों मर्दखेड़ा, बिगड़वाल, खड़ियाल व संगतपुरा को चुना गया।
सहयोगी निर्देशक ने बताया कि इन तकनीकों के उपयोग संबंधी कृषि विज्ञान केंद्र को किसानों से समर्थन मिला है व नजदीकी गांवों से भी बड़ी गिनती में किसान इन तकनीकों संबंधी जानकारी हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केवीके खेड़ी ने पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी लुधियाना की सीधी निगरानी में यह प्रोजेक्ट शुरु किया है। इन गांवों में प्रदर्शनी शुरु करने से पहले सेमिनार करवाकर गांव वासियों से सीधा संवाद शुरु किया गया था, ताकि इसके प्रोजेक्ट के सार्थक परिणाम मिल सकें। जिला संगरूर के विभिन्न गांवों से बड़ी गिनती में किसान हैप्पीसीडर से गेहूं की बिजाई करने के लिए आगे आ रहे हैं। किसानों द्वारा हैपी सीडर के उपयोग से भविष्य में पराली जलाने की रिवायत पर रोक लगेगी।