सरकारी तंत्र की नासमझी, व्यर्थ में बर्बाद हो रहा बरसाती पानी
जिले सहित पूरे पंजाब में भू-जल का गिरता स्तर ¨चता का विषय बना हुआ है। जिले में जहां पहले 20 फुट पर पानी आसानी से निकल जाता था, वहीं आज स्थिति यह हो गई है कि औसतन 80 फुट गहरी बो¨रग कराने पर भी पानी नहीं निकलता है। अगर कहीं से पानी निकल भी जाता है तो गर्मी में बोर सूख जाता है।
र¨जदर कुमार पंडोत्रा, गुरदासपुर : जिले सहित पूरे पंजाब में भू-जल का गिरता स्तर ¨चता का विषय बना हुआ है। जिले में जहां पहले 20 फुट पर पानी आसानी से निकल जाता था, वहीं आज स्थिति यह हो गई है कि औसतन 80 फुट गहरी बो¨रग कराने पर भी पानी नहीं निकलता है। अगर कहीं से पानी निकल भी जाता है तो गर्मी में बोर सूख जाता है।
गर्मी के समय में पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इस वक्त सभी पानी बचाने को लेकर बहुत ¨चतित दिखाई देते है। नगर निगम के कुछ क्षेत्रों में पानी नहीं मिलता तो इसका सारा दोष सरकार व नगर निगम के माथे मड़ते हुए लोग उनके दफ्तर का घेराव करने लगते हैं, लेकिन जैसे ही गर्मी खत्म होती है तो लोग पानी की समस्या को भूल जाते हैं। यह सिलसिला कई सालों से चल रहा है। ऐसे में शहर में पानी की समस्या को दूर करने व भू-जल के स्तर को गिरने से रोकने के लिए रेन वाटर हार्वै¨स्टग सिस्टम ही एक मात्र उपाय है, जिससे भू-जल का स्तर बढ़ाया जा सकता है।
प्रदेश के कई इलाकों में भूजल 1000 से 1500 फुट की गहराई पर
गौरतलब है कि समय रहते हुए यदि भू-जल बढ़ाने के लिए शहरवासी व सरकार जागरूक नहीं हुई तो आने वाले कल के लिए बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर होंगे। उस वक्त पछतावे के अलावा शहर वासियों के पास कुछ नहीं बचेगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में कई ऐसे इलाके है,जहां 1000 से 1500 फुट गहराई पर बो¨रग कराने पर भी पानी नहीं आता।
शहरवासी रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम को लगाने के प्रति जागरूक नहीं
घरों, कार्यालयों, शॉ¨पग मॉल, मल्टी स्टोरी आवासों में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम को लगाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि 30 से 50 हजार रुपये के बीच में वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम आसानी से लग जाता है, जिसमें बारिश का 5 लाख लीटर पानी को संचय कर सकते है। बारिश के जल को संग्रहित करने की रेन वाटर हार्वै¨स्टग सिस्टम लागू है, लेकिन शहरवासी इस सिस्टम को लागू करने प्रति सजग नहीं है, जिसकी वजह से बारिश का पानी जमीन की बजाय व्यर्थ बहकर निकल जाता है। जल संग्रहण के लिए यह प्रक्रिया काफी असरदार साबित हो सकती है।
क्या है रेन वाटर हार्वे¨स्टग
घरों की छतों से बारिश के पानी को जमीन के अंदर उतारने या संभालकर रखने की प्रक्रिया को रेन वाटर हार्वे¨स्टग कहा जाता है। आम तौर पर इसकी 2 प्रक्रियाएं अपनाई जाती है। पहली, सरफेस रूफ वाटर हार्वे¨स्टग और दूसरी रूफ टॉप रेन वाटर हार्वे¨स्टग। बारिश के पानी से बोरवेल या कुओं को रिचार्ज किया जाता है। इसके लिए आजकल सस्ते व तैयार सिस्टम मिल जाते हैं। जिसमें पानी स्टोर करके रखा जाता है और जरूरत पड़ने पर पानी को प्रयोग में लाया जाता है।
क्यों जरूरी है वाटर हार्वे¨स्टग
जिला ही नहीं पूरे पंजाब भू-जल के गिरते स्तर से जूझ रहा है। भू-जल के अंधाधुध पानी का दोहन तो किया जाता है, लेकिन इसको रिचार्ज करने पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। वहीं थोड़ी सी बारिश की वजह से पूरे शहर में जल जमाव से लोगों के रोजमर्रा के कार्य पूरी तरह से बाधित होने के साथ ही बारिश के शुद्ध पानी की बर्बादी होती है। एक तरह से रेन वाटर हार्वे¨स्टग नहीं बनने से दो तरफा नुक्सान उठाना पड़ता है।
65 हजार लीटर पानी की बचत
केंद्रीय भू-जल सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक एक हजार वर्ग फुट जगह में एक बारिश के सीजन में औसतन 65 हजार लीटर पानी बचाया जा सकता है। बारिश के पानी को छत से एक टंकी बनाकर जमीन में सुरक्षित रख सकते हैं। इससे भू-जल स्तर को बढ़ा सकते हैं और गर्मी के दिनों में पानी के संकट से एक हद तक बच सकते हैं।
समय-समय पर करवाते हैं घरों की चे¨कग : ईओ
नगरपालिका के ईओ भू¨पदर ¨सह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से पानी को बचाने के लिए हर तरफ से प्रयास किया जाता है। इसके अलावा व्यर्थ पानी बहाने से रोकने के लिए उन्होंने अपने कर्मियों की ड्यूटियां लगाई हुई हैं, जो समय-समय पर लोगों के घरों में जाकर चे¨कग करवाते हैं तथा व्यर्थ पानी बहाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश भी दिए गए हैं। अगर कोई फिर भी पानी व्यर्थ बहाता है तो उसके कुनेक्शन को काटने का प्रावधान भी है। पानी को बचाने के लिए नगरपालिका वचनबद्ध है।