गुरदासपुर में प्रभात झा पर भड़के कार्यकर्ता, कहा- आप बात तो सुनते नहीं फिर क्यों आए
गुरदासपुर उपचुनाव की तैयरियों में जुटे पंजाब प्रभारी को कार्यकर्ताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा। विरोध की नौबत यहां तक आई कि एक बैठक में तो झा को भाषण बीच में ही छोड़ना पड़ा।
जेएनएन, गुरदासपुर। लोकसभा उपचुनाव को लेकर तीन दिवसीय दौरे पर गुरदासपुर आए भाजपा पंजाब प्रभारी प्रभात झा को कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ा। कुछ ने तो उनको भरी रैैली में खरी-खोटी भी सुनाई, वहीं प्रदेश के अधिकांश बड़े नेता रैली में पहुंचे ही नहीं। बहरामपुर रोड स्थित लक्ष्मी नरायण मंदिर में बूथ इंचार्जेज की बैठक में तो झा को भाषण बीच में छोड़ना पड़ा।
बूथ इंचार्जेज की बैठक में झा ने जैसे कहा कि वे लोग एक राष्ट्रीय पार्टी के कार्यकर्ता हैं। उनके लिए कार्यकर्ता ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश है, जिनकी हर बात उनको माननी पड़ती है। इतना सुनते ही आगे बैठे कुछ कार्यकर्ता और बूथ इंचार्ज तैश में आ गए। कार्यकर्ता चाहते थे कि झा भाषण को बीच में ही रोककर उनकी बात सुनें, लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया गया। इसके बाद में नाराज कार्यकर्ताओं ने कहा, 'आप बात तो सुनते नहीं हो। मीटिंग लेने क्या आए हो। जिनके बलबूते चुनाव जीतना चाहते हो, उन्हें ही अनसुना कर रहे हो।'
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पठानकोट में पहले दिन रैलियां करने के बाद गुरदासपुर पहुंची हाईकमान के दौर के दौरान कई वरिष्ठ नेता नदारद रहे। यहां न पहुंचने वालों में प्रदेश सचिव वीरांवाली, पूर्व जिला प्रधान अशोक वैद्य, पूर्व जिला प्रधान रमेश शर्मा, महामंत्री विजय वर्मा, पूर्व जिला उपप्रधान हरदीप रेयाड़, पूर्व नगर कौंसिल प्रधान संतोष रेयाड़, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बालकृष्ण मित्तल शामिल हैं। इसके अलावा पंजाब प्रधान विजय सांपला भी धारीवाल, दीनानगर, कलानौर व गुरदासपुर में हुई बैठक में नहीं आए। ये बैठकें सभी विधानसभा हलकों में वर्करों व बूथ इंचार्जों को प्रेरित करने के लिए रखी गई थी, लेकिन उपस्थिति की संख्या कम होने के कारण उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया।
सलारिया व कविता में फिर नजर आई दूरियां
उपचुनाव में स्व. विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना व स्वर्ण सलारिया को टिकट के प्रमुख दावेदारों के रूप में देखा जा रहा है। इन दोनों नेताओं द्वारा पार्टी हाईकमान को लगातार प्रभावित करने की कोशिश भी की जा रही है, लेकिन इनकी गुटबंदी भाजपा के कार्यक्रमों में खुलकर सामने आ रही है। पठानकोट में जहां कविता खन्ना पिछली लाइन में बैठकर लैपटॉप चलाती नजर आई थी, वहीं आज भी दोनों एक दूसरे को नजरअंदाज करते दिखे। पूरी मीटिंग व उसके बाद दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की। मंच के एक कोने पर जहां सलारिया बैठे थे, वहीं दूसरे कोने पर कविता खन्ना बैठी रही।
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