आतंकी हमला : दिमाग में सिर्फ एक ही बात आई कि सबको बचाना है : बस चालक
खुदा का शुक्र है बस में सवार 80 यात्रियों को बचाने में सफल रहा। यदि दहशतगर्दों के इशारे पर बस रोक देता तो मरने वालों की संख्या दर्जनों में होती। उस समय डर या घबराहट नहीं हुई, दिमाग में बस एक बात थी कि सब को बचाना है।
गुरदासपुर [सुनील थानेवालिया]। आतंकी हमले के खौफनाक मंजर कभी नहीं भूलने वाला है। खुदा का शुक्र है बस में सवार 80 यात्रियों को बचाने में सफल रहा। यदि दहशतगर्दों के इशारे पर बस रोक देता तो मरने वालों की संख्या दर्जनों में होती। उस समय डर या घबराहट नहीं हुई, दिमाग में बस एक ही बात आई कि सबको बचाना है और मैंने बस को भगा लिया।
यह कहना है बस चालक नानक चंद ,जिसने आतंकियों की फायरिंग की परवाह किए बगैर बस को निकाल लिया। आतंकियों ने सबसे पहले इसी बस पर हमला किया था।
समराला (दीनानगर) निवासी नानक चंद आंतकियों का सामना करते हुए अपनी जान पर खेलते हुए बस में सवार यात्रियों की जान बचा ली। नानक चंद पंजाब रोडवेज की बस चलाता है। उनकी आंखों में आतंकियों से बच निकलने की कहानी खुद व खुद बयान हो रही थी।
आतंकियों के मारे जाने के बाद जमा लोग।
उन्होंने बताया कि वह बमियाल से अपनी बस लेकर सुबह 3.50 बजे चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए थे। जैसे ही बस दीनानगर पुलिस थाना के आगे पहुंची तो पुलिस थाना की तरफ से सीधी एक गोली बस के भीतर आ घुसी। जिसने पांच सवारियों को घायल कर दिया। इसी बीच जब दूसरे आतंकी ने बस रोकने के लिए हाथ दिया। तभी उन्हें आतंकी हमले का अहसास हुआ उन्होंने बस को भगा लिया।
नानक चंद ने बताया, पांच सवारियों को गोली लगने से बस के भीतर चीख-पुकार मच गई। घायल सवारियों के मद्देनजर बस लेकर सीधे सिविल अस्पताल पहुंचे। तब तक अस्पताल तक आतंकी हमले की शोर पहुंच चुकी थी। वहां पहुंचते ही डाक्टरों ने तत्काल इलाज शुरू कर दिया।
आतंकी हमले की सूचना फैलते ही दीनानगर-पठानकोट रूट करीबन ठप हो गया। अधिकतर बसें गुरदासपुर में ही खाली हो गईं। इससे देखते ही देखते गुरदासपुर बस अड्डा और बस अड्डे के बाहर बसों की लंबी लाइनें लग गई।