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दो सालों में व्यर्थ पानी बहाने का एक भी चालान नहीं

जल संरक्षण के लिए भले ही राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जिला स्तर के अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। इसके चलते प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बेकार में बह रहा है और भूजल स्तर में प्रतिदिन कमी आ रही है ।दीनानगर में अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बेकार में बह रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 06:25 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 06:25 PM (IST)
दो सालों में व्यर्थ पानी बहाने का एक भी चालान नहीं
दो सालों में व्यर्थ पानी बहाने का एक भी चालान नहीं

संवाद सहयोगी, दीनानगर : जल संरक्षण के लिए भले ही राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जिला स्तर के अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। इसके चलते प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बेकार में बह रहा है और भूजल स्तर में प्रतिदिन कमी आ रही है ।दीनानगर में अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बेकार में बह रहा है।

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इस बात का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर कौंसिल द्वारा अभी तक पिछले डेढ़ साल में कोई भी चालान व्यर्थ जल वह आने वाले के खिलाफ नहीं काटा गया है। जल दिवस के मौके पर भले ही बड़े-बड़े राग अलाप पर लोगों को जल संरक्षण के संभाल संबंधी जागरूक करने के लिए नगर कौंसिल द्वारा अनेकों प्रयत्न किए जाते हैं । जब तक कौंसिल अधिकारियों की ओर से लोगों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक शहर में व्यर्थ में जल बहता रहेगा। सबसे अहम बात यह है कि जल संकट के प्रभाव से शहर के लोग भी अवगत नहीं है ।

दीनानगर का भूजल स्तर ¨चताजनक आंकड़ों के साथ प्रति वर्ष कम हो रहा है। जिसके चलते आगामी कुछ समय तक दीनानगर शहर भी डार्क जोन एरिया में परिवर्तित हो जाएगा । ऐसे में शहर वासियों को स्वयं ही चाहिए कि वह जल की संभाल को लेकर गंभीरता दिखाएं और व्यर्थ में पाए जाने वाले जल के रीसाइ¨क्लग के लिए घरों अथवा अन्य स्थानों पर वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम का प्रयोग करें। बरसात के पानी से जल स्तर बढ़ना और गुणवत्ता में सुधार संभव

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र अमृतसर के सहायक मृदा रसायनज्ञ डॉ. बीके यादव के अनुसार रेन वटर हार्वे¨स्टग सिस्टम से भूजल सीधा जमीन में जाता है। इससे साफ सुधरा पानी अंदर जाने से भूजल स्तर बढ़ता है। इसके साथ क्वालिटी में भी सुधार होता है। अगर पानी जमीन पर जमा होने के बाद रिसाव से अंदर जाए तो इससे पानी प्रदूषित होने, वाष्पीकरण से उड़ने और जमीन में मौजूद लवणीयता और क्षरीयता की भी मिलावट होने की आशंका रहती है। इससे भूजल की गुणवत्ता भी बिगड़ती है।

इंजीनियर रोहित शर्मा ने बताया कि रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम सरल तकनीक पर आधारित है। इसमें भवन की छत के पानी को पाइपों के जरिए जमीन पर गहरे इनलेट टैंक तक पहुंचा दिया जाता है। फिर पानी आउटलेट टैंक में जाता है। वहां बो¨रग से भूजल तक डाली गई पाइप के जरिए पानी जमीन में चला जाता है। इस सिस्टम में इनलेट व आउटलेट टैंक के बीच मोटी रेत और बजरी का फिल्टर बना होता है,जो पानी को साफ कर जमीन में भेजता है। कौंसिल पानी को लेकर नही गंभीर

दीनानगर नगर कौंसिल पानी की संभाल व व्यर्थ दोहन को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नही है, जिसके चलते शहर में लोगों की ओर से पानी को व्यर्थ में बहाया जा रहा है। हालांकि पालिका अधिकारियों की ओर से जो लोग व्यर्थ में पानी बहाने वाले लोगों के लिए चालान की व्यवस्था भी की हुई है, परंतु विगत दो वर्षों के दौरान नगर कौंसिल के अधिकारियों की ओर से अभी तक ऐसे किसी भी व्यक्ति का चालान नही किया गया जो व्यर्थ में पानी बहाते हों। अत: इससे स्पष्ट है कि नगरपालिका अधिकारी पानी के व्यर्थ दोहन व संभाल को लेकर गंभीर नही हैं। समय-समय पर करवाते हैं घरों की चे¨कग : ईओ

उधर, इस संदर्भ में जब नगर कौंसिल के ईओ अनिल मेहता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पानी के व्यर्थ पानी बहाने से रोकने के लिए उन्होंने अपने कर्मियों की ड्यूटियां लगाई हुई हैं, जो समय-समय पर लोगों के घरों की जाकर चे¨कग करवाते हैं। उन्होंने बताया कि पालिका पानी के व्यर्थ बहाव को लेकर गंभीर है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से व्यर्थ पानी की बहाने वाले के खिलाफ 500 रुपये का प्रावधान है। अगर वह फिर भी बहाता है तो उसके कुनेक्शन को काटने का प्रावधान भी है।


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