गुरदासपुर में रेड लाइट नहीं, ट्रैफिक पुलिस की संख्या भी कम
ट्रैफिक समस्या से निजात दिलाने के लिए देश की आजादी के बाद से ऐसा कोई भी खास प्रबंध नहीं किया है
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर
पंजाब सरकार ने जिला गुरदासपुर को ट्रैफिक समस्या से निजात दिलाने के लिए देश की आजादी के बाद से ऐसा कोई भी खास प्रबंध नहीं किया है। यहां के मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पास भी चार जिलों का कार्यभार है। इस कारण उन्हें रोजाना अपने शेड्यूल में बदलाव करते हुए कभी गुरदासपुर, कभी अमृतसर, कभी तरनतारन तो कभी पठानकोट आदि इलाकों में बैठकर गाड़ियों की पासिग करनी पड़ती।
ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों की अगर बात करें तो यहां पर दीनानगर, धारीवाल, गुरदासपुर सहित करीब 29 के पुलिस कर्मचारी इन इलाकों की ट्रैफिक व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। विभागीय कर्मचारियों के मुताबिक विभाग में पुलिस कर्मचारियों की कमी है। जिले के किसी चौक में रेड लाइट नहीं है। दरअसल रेड लाइट लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस और नगर कौंसिल को एक साथ मिलकर कार्य करना होता है। दोनों विभागों में आपसी तालमेल की वजह से जिले में कहीं भी रेड लाइट नहीं लग पा रही है। इसी वजह से रोजाना शहर के मुख्य चौकों में ट्रैफिक जाम की स्थिति बद से बदतर है। शहर के डाकखाना चौक में 20 साल पहले ट्रैफिक लाइट लगाई गई थी, जो बाद में उखाड़ दी गई। हालांकि इस चौक का नाम आज भी लाइट वाला चौक के नाम से मशहूर है। रिकवरी वैन का इस्तेमाल कम
गलत जगह पर वाहन पार्किग करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस की ओर से रिकवरी वैन के माध्यम से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इसके चलते सड़कों पर बिना रोक-टोक के लोग अपने वाहन पार्क करके चले जाते हैं और इसी वजह से यातायात में बाधा पड़ती है। पुलिस विभाग की ओर से कभी-कभी गलत पार्किग करने वालों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है। इन इलाकों में व्यवस्था जीरो
गुरदासपुर शहर के हनुमान चौक, बाटा चौक, सदर मार्केट, जेल रोड, बहरामपुर रोड आदि इलाकों में ट्रैफिक का मकड़जाल रहता है। इन इलाकों में सुधार संबंधी पुलिस विभाग की ओर से अभी तक कोई खास प्रबंध नहीं किए गए। इसके चलते व्यवस्था जीरो है। लाइसेंस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की बू
गुरदासपुर के रीजनल ट्रांसपोर्ट आफिस में ड्राइविग लाइसेंस को लेकर भ्रष्टाचार चरम पर है। दरअसल इस विभाग से संबंधित कार्यालय के बाहर स्थित दलालों की ओर से आम लोगों से आनलाइन प्रक्रिया को कठिन बताकर उनसे पैसे ऐंठ जाते हैं। इसके चलते लोगों को आज भी अपना लाइसेंस बनवाने के लिए निर्धारित फीस से अधिक पैसे देखकर ही लाइसेंस बनवाना पड़ता है। अगर सरकारी तौर पर देखें तो ड्राइविग लाइसेंस महज 1700 रुपये में बन जाता है। जबकि दलालों की ओर से 4000 रुपये से अधिक की धनराशि आम जनता से वसूल की जाती है। कार्यालय के बाहर लाइसेंस बनवा कर फोटो खिचा कर वापस जा रहे कुछ लोगों ने बताया कि ड्राइविग लाइसेंस उन्होंने सीधे तौर पर नहीं बनवाया है। दलालों के माध्यम से ही बनवाया है। उनका कारण है कि विभाग की ओर से दी जाने वाली अपॉइंटमेंट कठिन होने की वजह से बार-बार किसी चक्कर में नहीं पड़ते और सीधे तौर पर दलाल से ही संपर्क करके अपना ड्राइविग लाइसेंस बनवा लेते हैं। कोट्स
आज की युवा पीढ़ी आधुनिक किस्म के मोबाइल चलाती है। इस कारण वे अपने मोबाइल से ही अप्वाइंटमेंट बुक कर लेते हैं। इस तरीके से लोगों को दलालों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इस परिस्थिति में काफी सुधार हुआ है।
बलदेव रंधावा, आरटीए।