शहीद कुलवंत को अंतिम विदाई, छोटे बेटे की हालत सब को रुला गई
पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकी हमले में शहीद कांस्टेबल कुलवंत सिंह को अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी गई। सैनिक सम्मान के साथ उनके गांव में अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र चिता को मुखाग्नि दी।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। पठानकोट के एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकी हमले में शहीद हुए कांस्टेबल कुलवंत सिंह काे सोमवार को अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी गई। उनका सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र चिता को मुखाग्नि दी। छठी कक्ष में पढ़ने वाले बेटे की हालत किसी से देखी नहीं जा रही थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि पापा को क्या हुआ।
डीएससी के जवान कुलवंत सिंह का गांव चक्क शरीफ में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें उनके बड़े बेटे सतविंदर सिंह ने मुखाग्नि दी। शहीद का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा उनके गांव पहुंचा तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। उनकी पत्नी मानो रो-रोकर पत्थर बन गई थी। छठी कक्षा में पढऩे वाले छोटा बेटे को पूरी तरह समझ नहीं आ रहा था। मां व भाई को देखकर वह फूट-फूटकर रो रहा था। उसे रिश्तेदार दिलासा देकर चुप कराने का प्रयास करते रहे,लेकिन पिता से हमेशा बिछड़ने का दर्द वह सहन नहीं कर पा रहा था।
अपनी मां से लिपट कर बिलखता शहीद कुलवंत का छोटा पुत्र।
शहीद कुलवंत सिंह की अंतिम यात्रा में रिश्तेदारों के अलावा आसपास क्षेत्र के लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। आगे सैन्य टुकड़ी चल रही थी, जिससे हर गांव निवासी खुद को शहीद के गांव का होने पर गर्व महसूस कर रहा था। श्मशानघाट में पहुंचने पर बिग्रेडियर वीके तिवाड़ी, कर्नल अखिलेश तूमर, मेजर गौरव तितिया, सूबेदार दिलबाग सिंह, सूबेदार काबुल सिंह ने शहीद कुलवंत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद सैन्य टुकड़ी ने शहीद को सलामी दी।
शहीद ने निभाई परिवार की परंपरा
शहीद कुलवंत सिंह से पहले उनके परदादा ने 1904 के विश्व युद्ध में शहादत दी थी जबकि उनके मामा महिंदर सिंह ने 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान शहादत दी थी। देश भक्ति के गीत लिखने और गाने के शौकीन शहीद कुलवंत सिंह ने भी देश की खातिर अपना बलिदान देकर अपने परिवार की यह परंपरा कायम रखी।