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लंपी स्किन बीमारी से पीड़ित गायों को सड़कों पर छोड़ रहे लोग

पंजाब भर में फैली लंपी स्किन बीमारी का प्रकोप सीमावर्ती जिला गुरदासपुर में पूरे शिखर पर है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 06:31 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 06:31 PM (IST)
लंपी स्किन बीमारी से पीड़ित गायों को सड़कों पर छोड़ रहे लोग
लंपी स्किन बीमारी से पीड़ित गायों को सड़कों पर छोड़ रहे लोग

महेंद्र सिंह अर्लीभन्न, कलानौर

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पंजाब भर में फैली लंपी स्किन बीमारी का प्रकोप सीमावर्ती जिला गुरदासपुर में पूरे शिखर पर है। इस रोग का इलाज आम व छोटे पशु पालकों की पहुंच से बाहर है। इस कारण पशु पालक इस बीमारी से पीड़ित पशुओं को सड़कों पर छोड़ रहे हैं। आवारा की गई ये गायें जहां किसानों की फसलों का नुकसान कर रही हैं, वहीं लंपी स्किन बीमारी की गिरफ्त में आकर मरी गायों को पशु पालकों की ओर से सड़कों पर फेंकने से बदबू फैल रही है। इससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ब्लाक कलानौर व डेरा बाबा नानक के अंतर्गत आते विभिन्न गांवों के पशुपालक अमरजोत सिंह, जगदीप सिंह, जतिदर सिंह, हरजीत सिंह, निरंजर सिंह, बलदेव सिंह, सरदूल सिंह, सुखदेव सिंह, लखविदरजीत सिंह आदि ने बताया कि करीब दो सप्ताह से गांव स्तर पर लंपी की चपेट में आई गायों का पशु पालक महंगे दाम का इलाज करवा रहे हैं। वहीं छोटे पशुपालक व गरीब लोगों के हाथ खड़े हो गए हैं। इसके चलते उन्होंने पीड़ित गायों को आवारा कर दिया है, जो सड़कों पर घूम रही है। इससे हादसों का भी भय बना हुआ है। वहीं इस बीमारी से मरी गायों को सड़कों के किनारे फेंकने से बदबू फैल रही है। इससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बीमारियां फैलने का भी खतरा बना हुआ है।

राहगीरों ने बताया कि कलानौर-बटाला मार्ग, कलानौर-गुरदासपुर मार्ग, कलानौर से कोटली सूरत मल्ली के अलावा सुनसान स्थानों पर मरे पशुओं को फेंका गया है। इसकी बदबू के कारण राहगीरों को भारी दिक्कत पेश आ रही है। सरकार चाहे लंपी स्किन से प्रभावित गायों का इलाज करवाने के दावे कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी पशुपालकों की ओर से खुद पैसे खर्च करके अपने पशुओं का इलाज करवाया जा रहा है। 21

जिले में 4800 बीमार गायें हुई ठीक

पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर शाम सिंह ने बताया कि जिला गुरदासपुर में 4800 के करीब लंपी स्किन रोग से पीड़ित गायें ठीक हो चुकी हैं। उन्होंने पशु पालकों को अपील की कि वे अपने पशुओं को आवारा न छोड़ें और मरे पशुओं को खुले में फेंकने के बजाय मिट्टी में दबाएं।


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