किसानों की समस्याएं जानने के लिए उनके बीच जाना जरूरी : बदनौर
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा सितंबर माह में आयोजित किए जाने वा
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा सितंबर माह में आयोजित किए जाने वाले किसान मेलों की लड़ी तहत प्रथम किसान मेला यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय केंद्र गुरदासपुर में लगाया गया। इस किसान मेले में पंजाब के गनर्वर व यूनिवर्सिटी के चांसलर वीपी ¨सह बदनौर मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुए। यूनिवर्सिटी के प्रबंधकीय बोर्ड के मेंबर डॉ. सतबीर ¨सह गोसल व गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर विपुल उज्जवल विशेष तौर पर शामिल हुए। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. बलदेव ¨सह ढिल्लों ने उद्घाटनी समारोह के नेतृत्व किया। किसान मेले में क्षेत्र के किसानों ने बड़ी संख्या में शिरकत की।
किसानों के भारी एकत्र को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि पंजाब गवर्नर बदनौर ने कहा कि किसानों की समस्याओं को जानने के लिए उनके बीच जाना बहुत जरूरी है। वहीं, किसानों और वैज्ञानियों का जो तालमेल पंजाब में देखने को मिलता है, वह एक मिसाल है और यह मॉडल देश के अन्य प्रदेशों को भी अपनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि पंजाब के पड़ोसी प्रदेशों में भी मेहनत और लगन की मिसाल पंजाब के किसानों ने ही तैयार की है। इसके बाद गवर्नर बदनौर ने किसानों को पराली न जलाने का आह्वान किया और बताया कि सरकार की मदद से पराली को आग न लगाने की समस्या को रोका जाएगा।
वहीं, डॉ. गौसल ने संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को खेती साहित्य के साथ अधिक से अधिक जुड़ना चाहिए और अपनी कृषि को वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पानी जैसे कुदरती स्त्रोतों की अच्छे रख-रखाव के लिए यूनिवर्सिटी की सिफारिशों को ध्यान में रखना चाहिए। अंत में धन्यवाद शब्दों के साथ यूनिवर्सिटी निर्देशक खोज डॉ. नवतेज ¨सह बैंस ने कहा कि किसानों को बुनियादी लागतों पर कटौती करनी चाहिए। इस अवसर पर खेती प्रदर्शनी में अतिथिगणों को मशीनों संबंधी जानकारी दी गई।
मेले के दौरान यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों व कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा प्रभावशाली में बढ़ोतरी किया गया। मेले के दौरान माहिरों की उच्च स्तरीय टीम ने किसानों के सवालों के जवाब मौके ही दिए। अंत में प्रबंधकों ने अतिथिगणों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किए।
इस मौके पर विशेष तौर पर क्षेत्रीय खोज केंद्र के निर्देशक डॉ. राम शक्ल ¨सह, केवीके इंचार्ज डॉ. सरबजीत ¨सह औलख और इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर के डीन डॉ. भु¨पदर ¨सह भी मौजूद थे। किसान भी एक वैज्ञानिक होता है : ढिल्लों
इसके बाद मेले की अध्यक्षता करने वाले डॉ. ढिल्लों ने कहा कि ऐसे मेले किसी ज्ञानवर्धक मेले से कम नहीं, जिनमें किसान नई विधियों को सीखतें हैं। उन्होंने कहा कि किसान भी एक वैज्ञानिक होता है जो अचेत और सुचेत मन से अपने खेत में तजुर्बे करता है। वहीं, इस बार किसान मेले का उद्देश्य'धरती मां बचाइए-पराली नू अग्ग ना लाइए' रखा गया है। डॉ. ढिल्लों ने किसानों को विशेष तौर पर कहा कि पराली को आग के हवाले कर पर्यावरण दूषित नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे मित्र कीड़े और खुराकी तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। साथ ही में उन्होंने पराली को खेत में ही बहाने के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से दिए सुझावों पर अमल करने को कहा। उन्होंने अच्छी सेहत और खेती विभिन्नता के लिए घरेलू बगीची के मॉडल को अपनाने का आह्वान किया।