12 साल में एक भी स्कूल को नहीं मिला फूड सेफ्टी एक्ट के तहत लाइसेंस
गुरदासपुर स्वास्थ्य विभाग यूं तो सैंपल भरने के नाम पर आम जनता और दुकानदारों को मिशन तंदुरुस्त पंजाब की दुहाई देकर बड़ी बड़ी ढींगें हांकता है।
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर : स्वास्थ्य विभाग यूं तो सैंपल भरने के नाम पर आम जनता और दुकानदारों को मिशन तंदुरुस्त पंजाब की दुहाई देकर बड़ी बड़ी ढींगें हांकता है। लेकिन सच तो यह है कि पिछले 12 सालों में जिले के अंदर चल रहे निजी और सरकारी स्कूलों में से स्वास्थ्य विभाग किसी एक भी स्कूल को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के तहत लाइसेंस दिला ही नहीं पाया। जिससे यह सिद्ध होता है कि मिशन तंदुरुस्त पंजाब की सरेआम गुरदासपुर में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। गुरदासपुर में सूचना के अधिकार एक्ट तहत ली गई जानकारी मुताबिक पैरा लीगल वालंटियर रमेश गुप्ता ने बताया कि उन्होंने सूचना के अधिकार एक्ट के तहत सिविल अस्पताल गुरदासपुर के जिला सेहत अधिकारी से इस मामले संबंधी जानकारी हासिल की । जब विभाग से यह जानकारी मिली तो आंकड़े चौंकाने वाले थे। उनका कहना था कि स्वास्थ्य विभाग ने केवल मेरिटोरियस स्कूल को ही फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के तहत लाइसेंस दिया है, क्योंकि मेरिटोरियस स्कूल में नियमों के तहत वहां जब तक वहां फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के तहत लाइसेंस नहीं होता तब तक वहां पर कैंटीन शुरू नहीं हो सकती। लेकिन दूसरी तरफ गुरदासपुर जिले में चल रहे निजी 729 स्कूलों में से एक भी स्कूल ने फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के तहत लाइसेंस अप्लाई ही नहीं किया है। जिससे स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर सवालिया निशान लग रहा है।
-- 2006 मे शुरू हुआ था एक्ट--
पंजाब सरकार की ओर से 2006 में फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट शुरू किया गया था। जिसके तहत हर दुकानदार और व्यापारी जो खाद्य पदार्थ बेचता है, को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के तहत लाइसेंस लेना अनिवार्य था । जिसमें शिक्षण संस्थान भी आते थे लेकिन जिला स्वास्थ्य अधिकारी की घटिया कारगुजारी के चलते आज भी बच्चे जंक फूड और गंदा खाना खा कर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
-- स्कूलों की कैंटीन ओं में बिकता है जंक फूड--
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एक सर्कुलर भी जारी किया गया है। जिसमें उन्होंने स्कूलों में चलने वाली कैंटीन में जंक फूड जैसे न्यूडल बर्गर टिक्की हुए खाद्य पदार्थ बेचने पर कड़ी पाबंदी लगाई है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर छोटे बच्चे जंक फूड खाएंगे तो छोटी उम्र में ही उनका ब्लड प्रेशर शुगर और अन्य बीमारियों से ग्रस्त रहेंगे । जिसके चलते फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के तहत ऐसे लोगों को लाइसेंस दिया जाए और उनसे खाद्य सामग्री बेचने संबंधी पूरा ब्यौरा लिया जाए। गुरदासपुर विभाग इस काम में पूरी तरह से विफल रहा है।
विभागीय नालायक कि आई सामने रमेश गुप्ता
-- सूचना के अधिकार एक्ट के तहत ली गई जानकारी मुताबिक जब मुझे यह पता चला कि गुरदासपुर जिले के किसी भी स्कूल में फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट के तहत लाइसेंस नहीं लिया है तो बड़ी हैरानी हुई। लेकिन साथ ही साथ यह भी सच सामने आ गया कि गुरदासपुर का स्वास्थ्य विभाग महज दुकानदार और डेयरी संचालकों के सैंपल भरने के सिवाय और कोई काम नहीं कर रहा है। जिसके चलते 2006 से लेकर 2019 तक विभाग किसी भी स्कूल को लाइसेंस ही नहीं दे पाया।