चार साल से कह रहा हूं, मेरे सामने सभी को पहाड़ी पर ले जाकर मारा : मसीह
इराक के मोसूल शहर से जिंदा लौटे हरजीत मसीह ने मंगलवार को फिर से मीडिया के सामने आकर कहा कि वह तो चार साल से कह रहा है कि सभी को पहाड़ी पर ले जाकर उसके सामने गोली मारी गई। अब केंद्र सरकार भी तो वहीं कह रही है। पहले उस पर विश्वास नहीं किया गया।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर : इराक के मोसूल शहर से जिंदा लौटे हरजीत मसीह ने मंगलवार को फिर मीडिया के सामने आकर कहा कि विदेश मंत्री आज बता रही हैं कि सभी की लाशें पहाड़ी खोदकर निकाली गई है। पर मैं तो चार साल से कह रहा हूं कि आइएसआइएस के आतंकियों ने मेरे सामने सभी को पहाड़ी पर ले जाकर गोली मारी थी। फतेहगढ़ चूड़ियां के गांव काला अफगाना निवासी हरजीत मसीह ने प्रेसवार्ता कर बताया कि सभी 39 भारतियों के साथ वह भी इराक की एक कंपनी में काम करता था। वहां 60 बांग्लादेशी भी थे। 2014 में जब ईराक पर आतंकवादियों ने कब्जा जमाया तो एक रात करीब 9 बजे सभी लोगों को एक गाड़ी में बिठा कर सुनसान जगह पर ले गए। यहां दो दिन रखने के बाद बंग्लादेश के नागरिकों को अलग कर भारतीयों से अलग कर दिया। उसके बाद उसके समेत सभी भारतीयों को गोली मारी गई। किस्मत से एक गोली उसकी टांग से छू कर निकल गई। आतंकियों के वहां से भागने के बाद वह फिर से उनके हत्थे चढ़ गया। पर उसने वहां झूठ बोलकर खुद का नाम अली निवासी बांग्लादेशी बताया। वहां से उसे बांग्लादेशी कैंप भेजा गया और वह भारत लौट आया।
एक साल तक केंद्र सरकार ने रखा हिरासत में
हरजीत मसीह ने बताया कि भारत आने के बाद उसे एक साल तक दिल्ली में केंद्र सरकार ने अपनी हिरासत में रखा। वे उससे पूछताछ करते रहे। गोली मारने वाली बात पर किसी ने उसका यकीन नहीं किया। चंडीगढ़ में भी वह मीडिया के सामने आया था और गोली का निशान भी दिखाया था। मसीह 2013 में गया था ईराक
हरजीत मसीह ने बताया कि वह 2013 में अन्य लोगों के साथ ईराक गया था। तीन साल बाद 2016 में जिला अमृतसर की तहसील बाबा बकाला के गांव भोएवाल निवासी गुर¨पदर कौर पुत्री हरदीप ¨सह ने उस पर अपने भाई मन¨जदर ¨सह को गलत तरीके से विदेश भेजने का मामला भी दर्ज करवा दिया। पर मन¨जदर ¨सह तो 2013 में ही विदेश चला गया था।