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पिछड़े वर्ग के लोगों को उनके हक दिला रहे गुरमीत सिंह बख्तपुरा

पिछड़े हुए लोगों की आवाज को बुलंद कर उनके हक उन्हें दिलाना ही गुरमीत सिंह बख्तपुरा की जिदगी का मकसद बन चुका है। इसके चलते कई कानूनों को लागू करवा कर हजारों लोगों को इसका फायदा पहुंचा चुके है। वह अपनी इस जनहित लड़ाई को आज भी जारी रखे हुए है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:41 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:41 PM (IST)
पिछड़े वर्ग के लोगों को उनके हक दिला रहे गुरमीत सिंह बख्तपुरा
पिछड़े वर्ग के लोगों को उनके हक दिला रहे गुरमीत सिंह बख्तपुरा

जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : पिछड़े हुए लोगों की आवाज को बुलंद कर उनके हक उन्हें दिलाना ही गुरमीत सिंह बख्तपुरा की जिदगी का मकसद बन चुका है। इसके चलते कई कानूनों को लागू करवा कर हजारों लोगों को इसका फायदा पहुंचा चुके है। वह अपनी इस जनहित लड़ाई को आज भी जारी रखे हुए है। गुरमीत सिंह का जन्म गांव बख्तपुर में 1954 को प्रीतम सिंह व प्रीतम कौर के घर में हुआ था। वैसे तो बचपन से ही समाज सेवा का शौक था, लेकिन कालेज में पढ़ते हुए जब किसी गरीब के साथ धक्केशाही होते देखते तो खुद ब खुद आगे आकर उसकी लड़ाई में कूद जाते। जब तक उसे इंसाफ नहीं मिलता, उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते। गुरमीत सिंह का कहना है कि भले ही समय-समय की सरकारों द्वारा कई तरह के दावे किए जाते है, लेकिन गांवों में रहने वाले लोगों को आज भी समानता का अधिकार नहीं मिला है। सरकार द्वारा कानून बना दिए जाते है, लेकिन उन्हें लागू नहीं किया जाता। किन लोगों के लिए करते है काम

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गुरमीत सिंह ने बताया कि वह ईंट भट्ठों पर काम करने वाले लोगों, शूगर मिलों में काम करने वाले लोगों, घरों में काम करने वाली महिलाओं को उनके बनते हक दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। मजदूर मुक्ति मोर्चा के प्रदेश सलाहकार, आल इंडिया ट्रेड कौंसिल आफ ट्रेड यूनियन के सीनियर उप प्रधान सहित विभिन्न यूनियनों के अलग अलग पदों पर रहते हुए लोगों के हक के लिए लगातार संघर्ष करते है। क्या-क्या कानून करवाए लागू

गुरमीत सिंह बताते हैं कि लोगों के सहयोग से किए गए संघर्ष में ईट-भट्ठे पर रेट लागू करवाना, बटाला फाउंडरी मजदूरों के वेतन में हर साल दस से बीस फीसदी तक बढ़ोतरी करवाना, रजिस्टर मजदूरों को दुर्घटना के दौरान मौत पर सवा चार लाख व प्राकृतिक मौत पर सवा तीन लाख दिलाना, रजिस्टर्ड मजदूरों के बच्चों को 3 से 70 हजार रुपये तक के वजीफे दिलाना, 51 हजार शगुन स्कीम, 60 साल के बाद 2 हजार रुपये पेंशन, बच्ची के जन्म पर 10 हजार, परिवारिक सदस्यों की मौत पर संस्कार के लिए 30 हजार रुपये व दिल की बीमारियों व कैंसर के ईलाज के 2 लाख रुपये दिलाने जैसे कानूनों को लागू करवा चुके है।


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