पठानकोट-अमृतसर रेल मार्ग ठप, हजारों यात्री परेशान
अमृतसर के जौड़ा फाटक पर दशहरा मेले के दौरान हुई दुर्घटना के कारण शनिवार को पठानकोट-अमृतसर मार्ग पूरी तरह से ठप रहा।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर
अमृतसर के जौड़ा फाटक पर दशहरा मेले के दौरान हुई दुर्घटना के कारण शनिवार को पठानकोट-अमृतसर मार्ग पूरी तरह से ठप रहा। इसस एक हजार के करीब यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कुल 22 ट्रेनें रद होने से विभाग को भी एक लाख राजस्व का नुकसान हुआ।
गौरतलब है कि शुक्रवार को अमृतसर के जौड़ा फाटक के नजदीक दशहरा मेले के दौरान रावण के पुतले को अग्नि भेंट करते समय ट्रेनों की चपेट में आकर दर्जनों लोग मर गए। कई लोग घायल भी हो गए। लोगों में उक्त हादसे को लेकर भारी आक्रोश देखने के मिल रहा है। कई लोग शवों को रेलवे ट्रैक पर रखकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे देखते हुए रेलवे विभाग द्वारा अमृतसर-पठानकोट रेल यात्रा को ठप रखा गया। दो दिन पहले भी ठप रही थीं रेल सेवा
स्टेशन मास्टर शशि मोहन ने बताया कि पठानकोट से अमृतसर और अमृतसर से पठानकोट जाने वाली 22 ट्रेनें रोजाना गुरदासपुर से होकर गुजरती हैं, जोकि पूरी तरह से बंद कर दी गई। उन्होंने बताया कि इससे पहले दो दिन किसानों द्वारा बटाला में गन्ने की बकाया राशि को लेकर रेलवे ट्रैक पर बैठने के चलते रेल सेवाएं ठप रही थीं। 45,46
ट्रेनों के ठप होने से यात्री निराश
यात्री विश्व व गुरदीप ¨सह ने कहा कि अमृतसर में हुई दुर्घटना अति दुखदायक है। लेकिन इस दौरान रेल सेवाएं ठप होने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बसों का किराया रेल के मुकाबले काफी अधिक होने के चलते अधिकतर गरीब लोग ट्रेनों पर ही सफर करते हैं। रेल सेवा प्रभावित होने के कारण लोगों को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। यात्री निराश हैं।
अभी भी नहीं जागा विभाग
अमृतसर में इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद भी रेलवे विभाग जागा नजर नहीं आ रहा है। इसका प्रमाण गुरदासपुर के संगलपुरा रोड पर मिलता है। यहां पर दो कालोनियों के बीच से होकर रेलवे ट्रैक निकलता है। विभाग द्वारा रेलवे ट्रैक के आसपास ऐसा कुछ भी नहीं किया गया, जिससे बच्चों व अन्य लोगों को रेलवे ट्रैक से जाने से रोका जा सके। हैरानी की बात तो यह है कि रेलवे लाइन के पार पड़ती भूत कालोनी को ओर कोई भी रास्ता न होने के चलते 200 के करीब लोग रोजाना रेलवे लाइन से होकर गुजरते हैं। बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी रेलवे लाइन पार करनी पड़ती है। इसके चलते किसी भी समय बड़ी दुर्घटना हो सकती है। कालोनी के लिए बने रास्ते पर अवैध कब्जा छुड़वाने के लिए कालोनी निवासी पिछले कई सालों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं। कई बार फैसला उनके हक में होने के बावजूद जिला प्रशासन द्वारा भी उनके रास्ते को छुड़़वाने के लिए आज तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे लगता है कि शायद जिला प्रशासन भी किसी बड़े हादसे के इंतजार में है।