मेरे बेटे के कातिल को भी मिले मौत की सजा
सिख विरोधी दिल्ली दंगों में पहली बार एक आरोपित को सजा-ए-मौत व दूसरे को उम्रकैद का फैसला माननीय अदालत द्वारा सुनाने के बाद दंगा पीड़ित परिवारों के दुखों पर थोड़ी खुशी की मलहम लगी है।
संवाद सहयोगी, कलानौर : सिख विरोधी दिल्ली दंगों में पहली बार एक आरोपित को सजा-ए-मौत व दूसरे को उम्रकैद का फैसला माननीय अदालत द्वारा सुनाने के बाद दंगा पीड़ित परिवारों के दुखों पर थोड़ी खुशी की मलहम लगी है। ब्लॉक कलानौर के अधीन आते गांव भंडाल की सुख¨वदर कौर ने माननीय सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि उनके बेटे कुलदीप ¨सह के अलावा उसके परिवार के दो अन्य सदस्यों को कत्ल करने वाले खोखर मल्ल को भी मौत की सजा सुनाकर उनको जल्द इंसाफ दिलाया जाए।
बुधवार को गांव भंडाल में बुजुर्ग माता सुख¨वदर कौर ने अपने बेटे पूर्व सरपंच लखबीर ¨सह लाली सहित बताया कि 3 नवंबर 1984 को दिल्ली में हुए दंगों के दौरान उनके 30 साल के बेटे कुलदीप ¨सह के अलावा जेठ के पुत्र न¨रदर पाल व उनके रिश्तेदार र¨वदर ¨सह को पालम गाम दिल्ली शिव मंदिर के पास खोखर मल्ल हरियाणा के जाट ने गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया था। इस संबंधी उनके परिवारिक सदस्य जगदीश कौर व जंगशेर ¨सह जो मौके पर गवाह हैं, ने खोखर मल्ल के खिलाफ कत्ल का मामला दर्ज करवाया गया था, परंतु खोखर मल्ल को जेल में भी भेजा गया था। उन्होंने बताया कि उनके पुत्र व परिवारिक सदस्यों को मौत की सजा दिलाने के लिए पिछले 34 साल से कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के पक्ष में आए फैसलों के बाद उनको उमीद की किरण दिखाई दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि उनके बेटे व परिवारिक सदस्यों के हत्यारों खोखर मल्ल को तुरंत मौत की सजा सुनाकर पीड़ित परिवारों के जख्मों पर मलहम लगाई जाए।