पंजाब शूरवीरों की धरती, कण-कण में है शहादत का जज्बा
1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी जहाजों द्वारा रेलवे स्टेशन गुरदासपुर पर की गई गोलाबारी में शहीद हुए 12 ट्रैकमैन व 13 सितंबर 1965 की भारत-पाक जंग में इसी स्टेशन पर शहीद हुए अशोक चक्र प्रथम श्रेणी विजेता फायरमैन चमन लाल की शहादत को नमन करने हेतु उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन पठानकोट की ओर से सचिव मंगत राम सैनी के नेतृत्व में गुरदासपुर रेलवे स्टेशन पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजिन किया गया।
र¨जदर कुमार, गुरदासपुर
1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी जहाजों द्वारा रेलवे स्टेशन गुरदासपुर पर की गई गोलाबारी में शहीद हुए 12 ट्रैकमैन व 13 सितंबर 1965 की भारत-पाक जंग में इसी स्टेशन पर शहीद हुए अशोक चक्र प्रथम श्रेणी विजेता फायरमैन चमन लाल की शहादत को नमन करने हेतु उत्तरी रेलवे मजदूर यूनियन पठानकोट की ओर से सचिव मंगत राम सैनी के नेतृत्व में गुरदासपुर रेलवे स्टेशन पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजिन किया गया। इसमें यूनियन के डिवीजन प्रधान मनोहर पराशर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए।
इनके अलावा शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर र¨वदर ¨सह विक्की, अशोक चक्र विजेता फायरमैन चमन लाल की पत्नी आशा रानी, यूनियन के शाखा प्रधान हर¨जदर ¨सह, कैप्टन बल¨वदर ¨सह पट्टी, काला ¨सह लुधियाना, कर्मजीत ¨सह, प्रशांत कुमार, सतनाम ¨सह, स्टेशन मास्टर शशि मोहन, सुरेंद्र पाल आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि मनोहर पराशर ने कहा कि पंजाब शूरवीरों की धरती है। इसकी बलिदानी मिट्टी के कण-कण में शहादत का जज्बा है। उन्होंने कहा कि देश की एकता व अखंडता को बरकरार रखते हुए यहां सेना के वीर जवानों ने अपने बलिदान दिए हैं, वहीं रेलवे के बहादुर कर्मचारियों ने भी कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी निभाते हुए अपनी शहादतें देकर अपना नाम शहीदों की श्रृंखला में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवाया है। मगर यह देश का दुर्भाग्य है कि रेलवे के शहीदों व उनके परिजनों को वो मान सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वो हकदार है। अपनों की शहादत के इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी उनके परिजन अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। झुलसते हुए चमन लाल ने पीया था शहादत का जाम : विक्की
परिषद के महासचिव र¨वदर विक्की ने कहा कि 1965 को भारत-पाक जंग के दौरान गुरदासपुर स्टेशन पर पेट्रोल से भरी मालगाड़ी की एक बोगी पर पाकिस्तान जहाज द्वारा बम फैंका गया। इससे पेट्रोल से भरी बोगी जलने लगी, मगर ड्यूटी पर तैनात फायरमैन चमन लाल ने अपनी जान की परवाह किए बिना जलती बोगी को माल गाड़ी से अलग कर उसे सुरक्षित जगह पर पहुंचाया। लेकिन भीषण आग से झुलसते हुए वह शहादत का जाम पीते हुए पूरे गुरदासपुर शहर को तबाह होने से बचा गए। फायरमैन चमन लाल की वीरता को देखते हुए देश के तत्कालीन राष्ट्रपति ने उन्हें मरणोपरांत प्रथम श्रेणी के अशोक चक्र से सम्मानित किया। मगर अफसोस उनकी शहादत के 53 वर्षो बाद भी गुरदासपुर रेलवे स्टेशन का नाम उनके नाम पर नहीं रखा गया। उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि शीघ्र ही स्टेशन का नाम उनके नाम पर रखते हुए वहां उनकी प्रतिमा भी लगाई जाए। शहीदों के बलिदान के समक्ष रेलवे विभाग नतमस्तक : मंगत राम
यूआरएमयू पठानकोट के सचिव मंगत राम सैनी ने कहा कि 47 साल पहले आज ही के दिन स्टेशन पर 12 ट्रैकमैन ड्यूटी पर थे तथा पाकिस्तानी जहाजों द्वारा की गई गोलीबारी में यह सभी एक ही दिन शहादत का जाम पी गए थे। इनके बलिदान के समक्ष समूचा रेलवे विभाग नतमस्तक है। उन्होंने कहा कि उनकी यूनियन अगले साल इस शहीदी समारोह को राज्य स्तर पर मनाएगा तथा समारोह में रेलवे मंत्री को बुलाने का प्रयास करेंगे। इस अवसर पर मुख्यातिथि व अन्य मेहमानों ने 13 शहीद परिवारों को शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। ये परिवार हुए सम्मानित
शहीद फायरमैन लाल अशोक चक्र की पत्नी आशा रानी, शहीद प्रीत मसीह के बेटे संतोख मसीह, शहीद प्रकाश कुमार के बेटे दिलबाग राज, शहीद बिशन दास के बेटे प्रेम कुमार, शहीदी ओम प्रकाश की पत्नी कृष्णा कौर, शहीद हरबंस लाल के बेटे बोध राज, शहीद तुलसी दास के बेटे बलबीर चंद, शहीद किशन चंद के बेटे बूटा राम, शहीद चरण दास के बेटे जगदीश राज, शहीद मंगल राम, प्यारा ¨सह, ज्ञान चंद आदि को सम्मानित किया गया।