किला लाल सिंह नहर पर अब नहीं लगता बैसाखी का मेला
धार्मिक मान्यता के मुताबिक बैसाखी वाले दिन पुण्य के लिए चलते पानी में स्नान करने की परंपरा चलती आ रही है।
सुरिदर खोसला, किला लाल सिंह
धार्मिक मान्यता के मुताबिक बैसाखी वाले दिन पुण्य के लिए चलते पानी में स्नान करने की परंपरा चलती आ रही है। इसकी वजह से इस पवित्र दिन लोग ज्यादातर नहर आदि पर स्नान करने जाते हैं। किला लाल सिंह से गुजरती अपरबारी दोआब नहर पर भी पिछले कई दशकों से लोग भारी संख्या में स्नान करते थे। इस वजह से यहां बड़ा मेला लगता था। मगर पिछले करीब 13 साल से नहरी विभाग की उदासीनता के चलते जहां मेला लगना बंद हो गया।
गौरतलब है कि करीब 13 साल पहले बैसाखी के अवसर पर नहरी विभाग की तरफ से नहर में पानी नहीं छोड़ा गया तथा यह सिलसिला लगातार चार साल तक चलता रहा। इसकी वजह से लोग इस जगह नदी में स्नान करने आने से कतराने लगे तथा धीरे-धीरे यहां लोगों का स्नान करने आना बंद हो गया। फलस्वरूप यहां मेला लगना भी बंद हो गया। दूसरा बड़ा कारण नहर में नहाने के लिए बनी हुई सीढि़यां भी टूट कर विलुप्त हो चुकी हैं। बिना सीढि़यों के नहर में नहाने उतरना खतरे से खाली नहीं रहा। इसकी वजह से स्नान करने के लिए जो थोड़े बहुत लोग फिर से आने लगे थे वो भी बिना स्नान किए ही वापस चले जाते। अब ये हालात हो चुके हैं कि कोई भी जहां स्नान करने नहीं आता।
स्थानीय दुकानदार बलदेव सिंह, तरसेम सिंह, बलवंत सिंह, कुलदीप सिंह, सुरिदर कुमार,प्रवेश कुमार आदि ने बताया कि पहले बैसाखी वाले दिन किला लाल सिंह में भारी मेला लगता था। लोग दूर-दराज से यहां स्नान करने आते थे। इस वजह से हमारा व्यापार भी काफी अच्छा होता था। मगर करीब 13 साल पहले नहरी विभाग की लापरवाही की वजह से नहर में पानी ना छोड़ने के कारण लोगों ने यहां आना ही बंद कर दिया। लोगों ने नहरी विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द नहर पर सीढिय़ों का निर्माण करवाया जाए व साथ ही स्नान आदि करने के लिए घाट बनाए जाए।