कुछ पैसों के लिए अनमोल ¨जदगियों से खिलवाड़
पैसे के लोभ ने मानव की मानवता को इस कदर गिरा दिया है कि वह कुछ पैसों के लिए अनमोल ¨जदगियों को दांव पर लगा देता है।
शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर
पैसे के लोभ ने मानव की मानवता को इस कदर गिरा दिया है कि वह कुछ पैसों के लिए अनमोल ¨जदगियों को दांव पर लगा देता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ड्रैगन डोर विक्रेता उन दुकानदारों की जो मामूली पैसों के लिए लोगों की ¨जदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। सरकार भले ही अपने स्तर पर ड्रैगन डोर पर पाबंदी लगाने के लिए कई रुख अपना रही है, लेकिन जब तक लोग स्वयं ही जागरूक नहीं होंगे तब तक ड्रैगन डोर पर पाबंदी लगाना असंभव है। जागरूकता जहां ड्रैगन डोर विक्रेता दुकानदारों के लिए जरूरी है उतनी ही, जरूरी ड्रैगन डोर की चाहत रखने वाले पतंगबाजी के शौकीनों की।
शहर में यूं तो नवंबर महीने से ही ड्रैगन डोर पहुंचनी शुरू हो जाती है, लेकिन पुलिस की ढीली कार्यप्रणाली के चलते अब तक कोई भी ऐसा मामला दीनानगर में नहीं देखने को मिला, जहां पर पुलिस या जिला प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा छापेमारी करके ड्रैगन डोर को पकड़ा गया हो। शहर के मेन अंदरूनी बाजार रेलवे रोड, सर्कुलर रोड, दीनानगर पठानकोट राज्य मार्ग पर कई स्थानों पर ड्रैगन डोर बिक रही है।
हालांकि गुप्त रूप से डोर की बिक्री के कारण ड्रैगन डोर की बिक्री निर्धारित दामों से 2 गुना अधिक दाम पर बेचकर ड्रैगन डोर विक्रेता पतंगबाजी के शौकीन लोगों से भारी लूट कर रहे हैं। इसके बावजूद भी पतंगबाजी के शौकीन पीछे नहीं हट रहे हैं। बता दें कि चाइनीज डोर माझा डोर के मुकाबले अधिक पक्की एवं नुकीली होने के चलते माझा डोर को आसानी से काट देती है। डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक यह डोर मनुष्य के मांस को आसानी से काट देती है। बता दें कि गुरदासपुर जिले में पिछले दो वर्षो में ड्रैगन डोर की चपेट में आने से कई लोगों को अपने अनमोल अंगों से हाथ धोना पड़ा है तो कई लोग मौत के मुंह में भी जा चुके हैं। हमेशा ही खतरे की घंटी है डोर
वैसे तो ड्रैगन डोर हमेशा ही खतरे की घंटी है, क्योंकि राह चलते लोग जिनमें दोपहिया वाहन सवार चपेट में आकर घायल होते रहते हैं। पंजाब में कई केस ऐसे सामने आ चुके हैं, जिनमें ड्रैगन डोर मौत की वजह बन चुकी है। बसंत पंचमी पर जब हर तरफ पतंगबाजी का जोर होगा तो कटती पतंगों के साथ कटी डैगन डोर किसी के भी गले में फंसकर उसे काल का ग्रास बना सकती है। जबकि ये डोर बिजली की तारों में फंसकर बिजली विभाग का आर्थिक नुकसान भी करती है। ये डोर जलाए जाने तक नष्ट नहीं होती। धागे से बनी डोर का इस्तेमाल ही है सबसे सेफ: डॉ. संचित
डॉ. संचित विशिष्ट का कहना है कि प्लास्टिक की डोर को ड्रैगन डोर का नाम बिलकुल सही दिया गया है। ये आम लोगों के लिए बेहद घातक है। इसे अब इतना पतला कर दिया गया है कि ये शरीर में लिपटने पर शरीर को बुरी तरह काट देती है। छोटे बच्चे कई बार इस डोर को तोड़ने के लिए हाथ में घुमा लेते हैं, लेकिन ये तब ज्यादा खतरनाक हो जाती है जब दूसरी तरफ से कोई डोर को खींचता है और डोर पतंगबाजी करने वाले का हाथ तक लहुलुहान कर देती है। अब तक वो ड्रैगन डोर के कई गंभीर केस देख चुके हैं। एक बार सख्ती हुई तो होगा इस्तेमाल बंद
ह्यूमन राइट्स रंजन संस्था के पंजाब प्रधान अमरजीत ¨सह व समाज सेवक डॉक्टर राजपाल का कहा कि ड्रैगन डोर का इस्तेमाल रोकने के लिए एक ही काम सबसे उपयुक्त कहा जा सकता है कि पुलिस विभाग मुलाजिमों की टीमें गठित करके ड्रैगन डोर का इस्तेमाल करने वाले युवकों को जुर्माने करे तथा अभिभावकों से लिखित लें कि उनके बच्चे अब ड्रैगन डोर का इस्तेमाल नहीं करेंगे। मतलब ही नहीं कि दोबारा कोई ये डोर इस्तेमाल भी कर ले। शिवसेना के नेता सुमित कुमार ने कहा कि आम लोग तथा छोटे छोटे प¨रदे जो बेजुबान होते हैं, ड्रैगन डोर की चपेट में आकर अपनी जान से जाते हैं। जबकि हम लोग अपने शौक के लिए ये सब कर रहे हैं। इसी प्रकार भू¨पदर ¨सह ने कहा कि सरकार चाहे तो क्या नहीं कर सकती। एक दिन में ड्रैगन डोर पर मुकम्मल पाबंदी लग सकती है लेकिन इसके लिए सरकार और प्रशासन को गंभीर होना होगा।