कॉरिडोर के काम को लेकर भारी उत्साह, बीएसएफ की सख्ती के बावजूद हजारों संगत पहुंची
भारत-पाक की सरकारों की ओर से गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए कॉरिडोर का काम शुरू करने को लेकर देश विदेश की संगत में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।
सुनील थानेवालिया/महिदर सिंह, कलानौर
भारत-पाक की सरकारों की ओर से गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए कॉरिडोर का काम शुरू करने को लेकर देश विदेश की संगत में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। मंगलवार को कॉरिडोर को लेकर डेरा बाबा नानक में भारत-पाक सीमा पर जीरो लाइन पर आयोजित दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक के दौरान बीएसएफ की ओर से सुरक्षा के मद्देनजर काफी सख्ती की गई।
मीडिया कर्मियों व संगत को दर्शन स्थल से करीब 500 मीटर पहले ही रोका जा रहा था। यहां से श्रद्धालुओं को केवल पैदल जाने की अनुमति थी, लेकिन मीडिया कर्मियों को कैमरे साथ लेकर जाने की नहीं थी। मंगलवार को हजारों की संख्या में संगत दर्शनी स्थल पर पहुंचे और दूरबीन से गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने के साथ साथ दर्शन स्थल से कुछ ही दूरी पर चल रही बैठक की गतिविधियों पर भी नजरें बनाए हुए थे। काबिलेजिक्र है कि गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी की ओर से अपना अंतिम समय बताया गया था और वहीं ज्योति जोत समाए थे।
गौरतलब है कि भारत-पाक सरकारों की ओर से पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए एक कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसको लेकर पाकिस्तान व भारत की लगातार काम चल रहा है। दोनों देशों के अधिकारियों की ओर से लगातार बैठकें भी की जा रही हैं। कुछ दिन पहले वाघा बॉर्डर पर हुई बैठक के बाद मंगलवार को डेरा बाबा नानक पर भारत पाक सीमा पर जीरो लाइन पर भारत की तरफ लगाए गए टेंटों में दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक हुई। 500 मीटर पहले ही रोका
बीएसएफ की ओर से बैठक के चलते सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। सुरक्षा के मद्देनजर ही दर्शन स्थल से करीब 500 मीटर पहले स्थित बीएसएफ की पोस्ट के पास सभी लोगों को रोका जा रहा था। हालांकि श्रद्धालुओं को दर्शन स्थल तक पैदल जाने की अनुमति दी गई थी। यहां से श्रद्धालु पैदल चलकर दर्शन स्थल पर पहुंच कर दूरबीन से गुरुद्वारा साहिब के दर्शन कर रहे थे। इतनी दूर रोके जाने के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या आम दिनों के मुकाबले काफी अधिक दर्ज की गई। अमृतसर के बाद करतारपुर साहिब के दर्शन
करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण की घोषणा होने के साथ ही दर्शनी स्थल पर आने वाले लोगों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। श्रद्धालु अमृतसर में श्री दरबार साहिब के दर्शन करने के बाद सीधे डेरा बाबा नानक में पहुंच कर दूरबीन से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन कर रहे हैं। दरबार साहिब के दर्शन कर डेरा बाबा नानक में पहुंचे पटियाला निवासी सतबीर सिंह, अहमदाबाद निवासी रमन कोछक व विजय त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने इससे पहले करतारपुर गुरुद्वारा को किताबों या सोशल मीडिया पर देखा था। लेकिन आज उन्होंने खुद दूरबीन के माध्यम से इसके दर्शन किए हैं। इसके चलते उनके मन को काफी सुकून मिला है। उन्होंने कहा कि सरकार को कॉरिडोर के निर्माण को लेकर दर्शनों के लिए आने वाली नानक नाम लेवा संगत पर बिना वजह पाबंदी लगाकर उन्हें दर्शन से वंचित नहीं करना चाहिए। कॉरिडोर बनाने में सरकारो की सराहनीय भूमिका
डेरा बाबा नानक में बसी श्री गुरु नानक देव जी की 17वीं पीढ़ी के वंशज बाबा सुखदीप सिंह बेदी ने बताया कि उन्होंने ही 2006 में दर्शन स्थल का निर्माण बीएसएफ के सहयोग से करवाया था। उन्होंने कहा कि बीएसएफ के सहयोग से गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने वाली संगत का काफी सहयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों की ओर से कॉरिडोर बनाने के लिए सराहनीय कदम उठाया जा रहा है। हमने नहीं दी जमीन
करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते में आने वाली जमीन के मालिक चन्नण सिंह, भुआ सिंह, गुरनाम सिंह व सर्बजीत सिंह का कहना है कि सरकार द्वारा बेबुनियाद दावा किया जा रहा है कि सभी किसानों द्वारा अपनी इच्छा से जमीन दे दी गई है। जबकि साढ़े 400 किसानों में से केवल एक किसान ने ही अपनी जमीन दी है। ऐसा नहीं है कि किसान जमीन नहीं देना चाहते, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक उन्हें मुआवजे संबंधी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही। सरकार धक्केशाही से किसानों से जमीन छीन रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी जमीन का उचित मुआवजा मिलना चाहिए। मीडिया से बनाई दूरी
भारत-पाक अधिकारियों की बैठक की सूचना मिलने के चलते मीडिया कर्मी दूर-दराज से मौके पर पहुंच चुके थे। लेकिन बीएसएफ की ओर से उन्हें 500 मीटर पहले ही रोक दिया गया था। किसी भी मीडिया कर्मी को मोबाइल से वीडियोग्राफी या फोटो खींचने की अनुमति नहीं दी गई थी। हालांकि मीडिया कर्मियों द्वारा छिपते छपाते काम किया जा रहा था। भारतीय टीम के इंतजार में पांच बजे बीएसएफ हेडक्वार्टर के बाहर खड़े मीडिया कर्मियों से बिना कोई बात किए अधिकारी अपनी गाडि़यों में बैठकर चलते बने।