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बीडीपीओ दफ्तर : दूसरे के खड़े कर रहे शौचालय, खुद के डगमगाए

दूसरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत यह कहावत बीडीपीओ व एसडीएम दफ्तर पर स्टीक बैठती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 06:11 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 06:11 PM (IST)
बीडीपीओ दफ्तर : दूसरे के खड़े कर रहे शौचालय, खुद के डगमगाए
बीडीपीओ दफ्तर : दूसरे के खड़े कर रहे शौचालय, खुद के डगमगाए

शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर

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दूसरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत यह कहावत बीडीपीओ व एसडीएम दफ्तर पर स्टीक बैठती है। लोगों के शौचालय बनवाने वाले बीडीपीओ दफ्तर के खुद के शौचालय डगमगा गए हैं। बीडीपीओ कार्यालय में आम जनता तो दूर की बात कर्मचारियों के लिए भी शौचालय की व्यवस्था सही नहीं है।

नगर कौंसिल व बीडीपीओ दफ्तर वाले जनता को शौचालय बनाने के लिए पैसे बांट रहे हैं। यदि कोई खुले में शौच करते हुए पाया जाता है तो उसका चालान काट दिया जाता है। लेकिन खुद के बीडीपीओ कार्यालय के शौचालय खस्ताहाल हैं। इनमें फैली बदबू से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या लोगों को पिछले लंबे समय से आ रही है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासनिक अधिकारियों ने शौचालयों को दुरुस्त करवाना जरूरी नहीं समझा। बुधवार को दैनिक जागरण की टीम ने जब बीडीपीओ व एसडीएम कार्यालय दीनानगर का दौरा किया तो देखा गया कि कार्यालय में बनाए हुए शौचालय पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुके हैं। यही नहीं देखरेख के अभाव में शौचालय के बाहर तक गंदगी एवं गंदी बदबू का आलम पसारा है। इसके चलते शौचालय का प्रयोग करने के बजाय लोग बाहर खुले में ही मल-मूत्र त्याग कर रहे हैं। कार्यालय में काम करवाने के लिए आने वाले लोगों का कहना है कि एक ओर जहां प्रशासन द्वारा जिले को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया। वहीं अभी सरकारी दफ्तर पूरी तरह इन मापदंडों को पूरा नहीं कर पाए हैं। जिले को खुले में शौच मुक्त करने पर सवाल

गौरतलब हो कि जिला प्रशासन द्वारा करीब 4 माह पूर्व जिले को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है। लेकिन सरकारी कई कार्यालय ऐसे हैं, जिनमें शौचालय केवल नाम मात्र ही हैं। उनमें गंदगी एवं गंदी बदबू का बेहद पसारा है। लोगों का कहना है कि सरकार की सारी मुहिमें नाम मात्र बनकर रह जाती हैं, जबकि जमीनी स्तर पर इसे सरकारी अधिकारी भी लागू नहीं करते। इसके चलते जिले को प्रशासन के खुले में शौच मुक्त घोषित करने पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है?

एसडीएम का भी नहीं गया ध्यान

बता दें कि दीनानगर को सबडिवीजन बने करीब 2 माह से अधिक का समय हो चुका है। ऐसे में सब डिविजन से संबंधित काम अब दीनानगर में ही एसडीएम द्वारा किए जा रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि एसडीएम भी इन दिनों बीडीपीओ कार्यालय में ही बैठकर अपना कार्यभार संभाल रहे हैं। ऐसे में लोगों को पेश आ रही इस समस्या की ओर उनका ध्यान भी नहीं गया। इसके चलते लोग खुले में मलमूत्र त्याग करते नजर आ रहे हैं। प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं बीडीपीओ दफ्तर

बीडीपीओ कार्यालय में 118 गांवों के कार्यो के अलावा पिछले 2 महीनों से सब डिवीजन की सुविधाएं भी प्राप्त हो रही हैं। इसके चलते अब लोग गुरदासपुर की जाने की बजाय दीनानगर में ही एसडीएम साहब से अपने निजी काम करवा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि कार्यालय में काम के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग आ रहे हैं। लेकिन फिर भी प्रशासन लोगों की समस्या को आखिर क्यों नहीं हल करवा पा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि ऐसी सुविधाओं का प्रबंध कार्यालयों में पहल के आधार पर होना चाहिए। महिलाओं के लिए समस्या अधिक

यूं स्वच्छता का सपना साकार भला कैसे हो पाएगा। बीडीपीओ व एसडीएम दफ्तर में जरूरत के अनुसार सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं। जो हैं उसकी हालत खस्ता होने के साथ -साथ उसकी स्वच्छता को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके कारण उसका प्रयोग करना मुश्किल है। एसडीएम दफ्तर में अपने काम से आने वाले लोगों को सुलभ शौचालय तक के लिए तरसना पड़ रहा है। खासकर महिलाओ को बहुत दिक्कत होती है।

कोट्स

सफाई होनी बहुत जरूरी है। सफाई की ओर ध्यान रखना हर किसी की जिम्मेदारी है। अगर शौचालय में सफाई ठीक ढंग से नहीं हो रही है तो सफाई कर्मचारियों को कह कर सफाई करवाकर लोगों की समस्या का हल करेंगे।

सकत्तर सिंह बल, एसडीएम।


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