महाशक्ति क्लब व हिदू सुरक्षा समिति ने करवाया भंडारा
महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में महाशक्ति क्लब व हिदू सुरक्षा समिति के पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से ाठवार्षिक भंडारा लगाया गया।
संवाद सहयोगी, दीनानगर : महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में महाशक्ति क्लब व हिदू सुरक्षा समिति के पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से ाठवार्षिक भंडारा लगाया गया। भंडारे की अध्यक्षता क्लब के प्रधान जोनी गिरि ने की। मुख्य मेहमान के रूप में श्री ब्राह्मण सभा के यूथ रिग के पंजाब प्रधान सोनू शर्मा जबकि विशेष रूप से हिदू सुरक्षा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. हरीदेव अग्निहोत्री उपस्थित हुए। डॉ. अग्निहोत्री ने कहा कि भगवान श्री भोलेनाथ की कृपा से इस बार 8वें भंडारे का आयोजन किया गया है। प्रधान जोनी गिरि ने कहा शिवरात्रि तो हर महीने में आती है लेकिन, महाशिवरात्रि सालभर में एकबार आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस बार यह पर्व आज 4 मार्च सोमवार को है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है। इस मौके पर संजय महाजन, पवन डोगरा, राजीव कुमार, बोबी सूरी, वेद सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी-डा. सोनू शर्मा
श्री ब्राह्मण सभा के यूथ विग के प्रदेश प्रधान डॉ. सोनू शर्मा ने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिग के रूप में था। ऐसा शिवलिग जिसका न तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।
शिव और शक्ति का हुआ था मिलन-डा. अग्निहोत्री
अखिल भारतीय हिदू सुरक्षा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. हरिदेव अग्निहोत्री ने कहा कि महाशिवरात्रि को पूरी रात शिवभक्त अपने आराध्य जागरण करते हैं। शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। माना जाता है कि शिवरात्रि के 15 दिन पश्चात होली का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है। शंकर