गांव हरदान, जहां गुरबाणी कीर्तन से होता है शुभ प्रभात
श्री दरबार साहिब अमृतसर से चल रही गुरबाणी कीर्तन का हरदान गांव के निवासी लाइव प्रसारण का आनंद ले रहे हैं।
विनय कोछड़, बटाला : श्री दरबार साहिब अमृतसर से चल रही गुरबाणी कीर्तन का हरदान गांव के निवासी लाइव प्रसारण का आनंद ले रहे हैं। इस पहल की पूरे क्षेत्र चर्चा है। इससे लोगों को धर्मिक विचारों के साथ जोड़ा जा रहा है। गांव के सरपंच गुरदीप सिंह बाजवा ने बताया कि पंचायत ने गांव की चारों ओर सौर लाइटें लगाई है। आठ उच्च गुणवत्ता वाले स्पीकर लगाए गए हैं। इलाही होते ही गांव हरदान में गुरबाणी की ध्वनि लोगों के कानों में सुनाई देनी शुरू हो जाती है। इसका मकसद यह है कि पंचायत चाहती है कि गांववासी गलत कामों की तरफ ध्यान न दें। वाहेगुरु का सिमरण करें।
50 हजार रुपये किए खर्च
सरपंच ने कहा कि इस परियोजना पर पंचायत ने 50 हजार रुपये खर्च किए हैं। गाव के हर गली के कोने पर बोर्ड लगाए गए हैं। इन बोर्डों पर लिखा है कि ज्ञानबद्धक बातें लिखी है। इस मुहिम से अन्य गांव भी दिलचस्पी ले रहे है। उन्होंने भी इस तरीके को अपनाना शुरू कर दिया।
सोलर लाइटें लगी
4.50 लाख रुपये की लागत से गांव के आसपास सोलर लाइट लगाई गई हैं। इन लाइटों के कारण गांव के लोगों को काफी सुविधा हुई है। गांव का 45 हजार रुपये की लागत से 25 सीमेंट की कुर्सियां लगाई गई हैं।
सीवरेज परियोजना शुरू
गांववासियों का खास ध्यान रखते हुए पंचायत ने सीवरेज परियोजना शुरू की है। इसमें गांववासियों को बारिश के दिनों में ओवरफ्लों गंद पानी से निजात मिलेंगी। काम युद्ध स्तर शुरू हो चुका है। ग्राम के सरपंच का कहना है कि इस परियोजना में उनके क्षेत्र के विधायक बलविद्र सिंह लाड़ी का काफी सहयोग रहा है। पिछले दिनों उन्होंने चंडीगढ़ में वाटर एंड सीवरेज विभाग के समक्ष मुद्दा उठाया था। जल्द ही गांववासियों को सीवरेज समस्या से भी राहत मिलने जा रही है। बताया जा रहा है कि गांव में नई सीवरेज परियोजना सबसे अलग होगी।
स्मार्ट स्कूल बनाया
बच्चों की पढ़ाई को प्रमुखता देते हुए यहां की पंचायत ने पिछले साल एक मता डाला था कि उनके क्षेत्र में प्राइमरी तथा सीनियर सेकेंडरी स्कूल अत्याधुनिक तरीके से खोले जाए। इसके लिए सरकार के समक्ष मुद्दा उठाया गया। नतीजन प्राइमरी स्कूल को स्मार्ट स्कूल बना दिया गया है, जबकि सीनियर सेकेंडरी स्कूल को भी बढि़या तरीके से तैयार किया गया। परिणामस्वरूप अब गांव के बच्चे बाहर जाने के बजाए वहां पर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं।