जहां हुआ अभिनंदन वहीं फल बेच रहा गोल्ड मेडलिस्ट, लॉकडाउन में पिता का रोजगार छिन गया
एक खिलाडी़ का गोल्ड मेडल जीतने पर जहां अभिनंदन हुआ था वह वहीं आज फल बेच रहा है। लाॅकडाउन के कारण उनके ऑटो चालक पिता का रोजगार दिन गया तो वह ऐसा करने काे मजबूर हो गया।
गुरदासपुर, जेएनएन। कोरोना काल में कई परिवार बेहाल हो गए। लॉकडाउन ने लोगों को बेरोजगारी और आर्थिक मंदी की खाई में धकेल दिया है। राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में जूडो में गोल्ड मेडल जीतने वाले छात्र शिवनंदन का परिवार भी संकट में घिर गया है। ऑटो चालक पिता का रोजगार छिना तो अब शिवनंदन परिवार चलाने के लिए उसी सड़क पर फल बेच रहा है जहां मेडल जीतने पर उसका भव्य अभिनंदन हुआ था।
लॉकडाउन में टेंट हाउस बंद होने से ऑटो चालक पिता हो गए बेरोजगार तो बेटों ने संभाला परिवार
गुरदासपुर का 17 वर्षीय शिवनंदन स्कूल गेम्ज फेडरेशन आफ इंडिया की ओर से करवाई जाने वाली प्रतियोगिता में जूडो में गोल्ड मेडल जीत चुका है। शिवनंदन के पिता टेंट हाउस मालिक के लिए ऑटो चलाते थे। लॉकडाउन के कारण टेंट हाउस बंद हो गया और पिता बेरोजगार हो गए हैं।
राष्ट्रीय स्तरीय स्कूल खेलों में जूडो में शिवनंदन ने जीता था गोल्ड भाई अभिनंदन ने भी जीते हैं सिल्वर
शिवनंदन के छोटे भाई 16 वर्षीय अभिनंदन ने भी स्कूल खेलों में जूडो में सिल्वर जीता है। इस बार पुणे में होने वाले राष्ट्रीय स्तरीय खेलों में उसे हिस्सा लेना था। यही नहीं सबसे छोटे भाई 15 वर्षीय रघुनंदन को इस साल खेलों में हिस्सा लेना था लेकिन पिता के बेरोजगार होने से अब तीनों नाबालिग भाई अब सड़ककिनारे फल और सब्जियां बेचकर घर चलाने को मजबूर हैं।
सबसे छोटे भाई रघुनंदन की उम्मीदों पर भी कोरोना ने फेरा पानी
वर्ष 2019 में शिवनंदन ने मध्य प्रदेश के रीवा में हुई 63वीं राष्ट्रीय स्कूल गेम्स के जूडो में 40 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था। बिडंबना देखिए वापस आने पर स्कूल के साथियों ने जिस सड़क पर उसका भव्य स्वागत किया था, उसी सड़क के किनारे उसे फल व सब्जियां बेचनी पड़ रही हैं।
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गरीब होना गुनाह नहीं : शिवनंदन
शिवनंदन का कहना है कि गरीब होना गुनाह नहीं लेकिन दुख उस वक्त होता है जब गरीबी का सबके सामने तमाशा बन जाता है। फिर भी निराश को जीवन में कभी हावी नहीं होने देना चाहिए।
पिता बोले, दुख होता है बेटों को इस हाल में देखकर
पिता राजेश का कहना है कि खेल में नाम कमाने वाले बेटों को फल व सब्जियां बेचते देख दुख होता है। अब कोराना काल में परेशानी है लेकिन हम सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे।
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कोच बोले, एक दिन तीनों भाई करेंगे नाम रोशन
जूडो कोच अमरजीत शास्त्री का कहना है कि तीनों भाई सरकारी सीनियर सेकेडंरी स्कूल गुरदासपुर स्थित जूडो सेंटर में कोचिंग लेते हैं। बेशक दिन में तीनों भाई फल व सब्जी बेचते हैं लेकिन शाम को कोचिंग लेने जरूर जाते हैं। तीनों खेल में बहुत अच्छे हैं। आगे चलकर यह जरूर नाम रोशन करेंगे।
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