मां और बहन ने दिया अर्थी को कंधा, तीन माह की परी ने शहीद पिता को दी मुखाग्नि
13 जनवरी को जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर गश्त के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए शहीद सिपाही रंजीव सिंह सलारिया का शव शुक्रवार सुबह को उनके गांव सिद्धपुर पहुंचा। यहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर
13 जनवरी को जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर गश्त के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए शहीद सिपाही रंजीव सिंह सलारिया का शव शुक्रवार सुबह को उनके गांव सिद्धपुर पहुंचा। यहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। शहीद की तीन माह की बेटी परी ने उन्हें मुखाग्नि दी वहीं मां और बहन ने अर्थी को कंधा दिया। इस दौरान पूरे गांव का माहौल अत्यंत गमगीन हो गया।
तिब्बड़ी कैंट से आई दो जैक राइफल्स के जवानों ने शस्त्र उल्टे कर बिगुल की मातमी धुन के साथ हवा में गोलियां दागते हुए शहीद को सलामी दी। सेना की ओर से सूबेदार राजेश सिंह, सूबेदार रवि कुमार, शहीद के यूनिट 221 आरटी फील्ड रेजीमेंट के कमांडिग अफसर कर्नल अम्भुज साच्चन की तरफ से नायब सूबेदार संजीव कुमार के अलावा जिला प्रशासन की तरफ से डीसी विपुल उज्जवल, जिला रक्षा सेवाएं भलाई विभाग के डिप्टी डायरेक्टर कर्नल जीएस गिल व तहसीलदार मंजीत सिंह, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, सांसद सन्नी दियोल के राजनीतिक सचिव गुरप्रीत पलहेरी आदि ने रीथ चढ़ा कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।
शहीद रंजीत सलारिया को पिछले अक्टूबर में बेटी हुई थी। बेटी सानवी के जन्म पर खूब जश्न मनाया था और प्यार से उसका नाम परी रखा था। शुक्रवार को जब उसी नन्ही परी ने अपने दादा हरबंस सिंह व चाचा सुरजीत सिंह के साथ अपने नन्हें हाथों से अपने शहीद पिता की चिता को मुखाग्नि दी तो पूरा श्मशानघाट शहीद रंजीत सलारिया अमर रहे, भारत माता की जय के जयघोषों से गूंज उठा। हर कोई नम आंखों से यह कह रहा था कि ईश्वर यह दिन किसी को न दिखाए। शहीद की पत्नी दीया बोली-मेरे रंजीत को ताबूत से निकालो उनका दम घुट रहा है
रंजीत सलारिया की तिरंगे में लिपटी हुई पार्थिव देह जब गांव सिद्धपुर पहुंची तो माहौल अत्यंत गमगीन हो गया। पिछले चार दिनों से अपने लाडले का इंतजार कर रही मां रीना देवी, पिता हरबंस सिंह, पत्नी दीया व बहन जीवन ज्योति की करुणामयी चीत्कारें पत्थरों का कलेजा छलनी कर रही थीं। पत्थर की मूरत बनी पत्नी दीया ने शहीद पति के ताबूत को देखा तो उनके सब्र का बांध टूट गया। दहाड़े मारते हुए वे कह रही थी कि मेरे रंजीत को ताबूत से बाहर निकालो, उनका दम घुट रहा है। मेरी परी को अपने पापा को देखना है, देख परी पापा आ गए हैं। इतनी बातें कहते ही वह बेसुध हो गई। जब सेना के जवान तिरंगे में लिपटी रंजीत की पार्थिव देह को श्मशान ले जाने लगे तो चार दिन से बेसुध शहीद की मां व बहन के कंधों में न जाने कहां से इतनी ताकत आ गई कि उन्होंने उसकी अर्थी को कंधा देकर श्मशान पहुंचाया। उन्हें ऐसा करता देख हर आंख से आंसू छलक उठे। शहीद के सम्मान में श्मशान तक बिछाए गए फूल
शहीद रंजीत सलारिया अपने मधुर स्वभाव के कारण पूरे गांव के लाडले थे। जब उनकी पार्थिव देह को श्मशान ले जा रहे थे तो गांव के युवाओं ने अपने साथी के सम्मान में पूरे रास्ते में फूल बिछाकर उनकी शहादत को नमन किया। रंजीत गांव के सभी युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए हमेशा प्रेरित करते थे। बहन बोली-वीरा परी दी लोहड़ी ता दे जांदा
शहीद रंजीत की बहन जीवन ज्योति उसके ताबूत से लिपटती हुई चीखें मारती हुई कह रही थी कि 12 जनवरी को जब रंजीत का फोन आया तो उसने कहा था कि इस बार तेरी बेटी की लोहड़ी लूंगी। रंजीत ने कहा कि चिंता मत कर मैं शीघ्र आकर तुझे परी की लोहड़ी दूंगा।
शहीद की पत्नी को सरकार देगी नौकरी
डीसी विपुल उज्जवल ने कहा कि सरकार की पॉलिसी के मुताबिक शहीद की पत्नी को उनकी योग्यता के हिसाब से नौकरी दी जाएगी। इस अवसर पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि गांव में शहीद रंजीत सिंह के नाम पर एक यादगार का निर्माण करवाया जाए। शहीद की यूनिट 45 राष्ट्रीय राइफल्ज के सूबेदार रवि कुमार ने युनिट की ओर से 94 हजार की नकद राशि शहीद के परिवार को भेंट की। इन्होंने दी श्रद्धांजलि
ब्लॉक समिति दीनानगर के चेयरमैन हरविंदर सिंह भट्टी, मार्केट कमेटी दीनानगर के पूर्व चेयरमैन जगदीश सिंह, सरपंच बीरा राम, कैप्टन लाल सिंह, जीओजी टीम की तरफ से सूबेदार मेजर मदन लाल शर्मा, कैप्टन जोगिंदर सिंह, कैप्टन हरजीत सिंह, सूबेदार बलवीर सिंह, सूबेदार रघुवीर सिंह, प्रीतम सिंह, रमेश्वर सिंह, सुरेन्द्र सिंह, प्रदीप सिंह, रविंदर सिंह।