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बारिश से दूसरी बार काश्त की गेहूं प्रभावित, किसानों ने मांगा मुआवजा

सीमावर्ती जिला गुरदासपुर के किसानों की गेहूं की प्रमुख फसल इस बार बेमौसमी बारिश की चपेट में आने से काश्तकारों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 08:11 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 06:12 AM (IST)
बारिश से दूसरी बार काश्त की गेहूं प्रभावित, किसानों ने मांगा मुआवजा
बारिश से दूसरी बार काश्त की गेहूं प्रभावित, किसानों ने मांगा मुआवजा

महिदर सिंह अर्लीभन्न, कलानौर

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सीमावर्ती जिला गुरदासपुर के किसानों की गेहूं की प्रमुख फसल इस बार बेमौसमी बारिश की चपेट में आने से काश्तकारों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बुधवार की रात से शुरू हुई बारिश शुक्रवार भी जारी रहने से कलानौर क्षेत्र के किसानों द्वारा दूसरी व तीसरी बार बिजाई की गई गेहूं की फसल में फिर से बरसाती पानी खड़ा होने से किसानों की फसल हो गई है। इससे किसान चितित है।

जिला गुरदासपुर में खेतीबाड़ी विभाग के आंकड़ों अनुसार एक लाख 75 हजार हैक्टेयर गेहूं की रोपाई करने का लक्ष्य है। गुरविद सिंह, सरदूल सिंह, सुरजीत सिंह, जसबीर सिंह गोराया आदि ने बताया कि इस बार गेहूं की रोपाई के दौरान रुक-रुक हो रही बारिश से जहां गेहूं की रोपाई पिछले वर्ष से कहीं पिछड़ गई है। वहीं उन्होंने दो बार काश्त की गेहूं की रोपाई के बाद बारिश का पानी खेतों में खड़ा होने से उनकी गेहूं की फसल प्रभावित हो चुकी है। गुरविद सिंह व सरदूल सिंह ने बताया कि उन्होंने ग्राम पंचायत कलानौर की 20 एकड़ जमीन ठेके पर ली है। प्रति एकड़ 32 हजार रुपए उन्होंने ग्राम पंचायत कलानौर के खाते में जमा करवा दिए हैं। मगर मौसम खराब होने से बासमती 1121 का चारा प्रति एकड़ छह क्विंटल नामात्र चारा निकला था। दूसरी बार गेहूं की रोपाई करके 14 हजार के करीब खर्च किया है। इसके बावजूद भी बरसाती पानी से उनकी गेहूं प्रभावित हो गई है। 35

गेहूं की बिजाई पिछड़ी

जिला गुरदासपुर के खेतीबाड़ी अधिकारी हरतरनपाल सिंह ने कहा कि जिन किसानों ने हैप्पीसीडर से गेहूं की अग्रिम बिजाई की है उन्हीं फसलों के लिए बारिश का पानी लाभदायक साबित होगा। मगर जिन किसानों ने बिजाई दो या तीन दिन पहले की है उनके लिए बरसात का पानी नुकसानदेह साबित हो सकता है। जिला गुरदासपुर में एक लाख 75 हजार हैक्टेयर रकबा गेहूं की बिजाई में है। बेमौसमी बारिश से पांच फीसद के करीब गेहूं की बिजाई पिछड़़ चुकी है।


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