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जलभराव से डेंगू फैलने का डर, कौंसिल अधिकारी बेखबर

मानसून का मौसम शुरू होते ही म'छरों का कहर भी शुरू हो गया है। बारिश के बाद से हुए जल भराव की निकासी नहीं होती है। बारिश के वाद सड़कों किनारे, सार्वजनिक स्थानों, कालोनियों में खाली प्लॉटों या निचले स्थानों में हुए जल भराव में लारवा पनपने का खतरा बढ़ चुका है, लेकिन अभी तक इस संबंध में न तो नगर कौंसिल ने कोई कारगर कदम उठाया है और न ही सेहत विभाग इस संबंध में कोई काम कर सका है ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 05:06 PM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 05:06 PM (IST)
जलभराव से डेंगू फैलने का डर, कौंसिल अधिकारी बेखबर
जलभराव से डेंगू फैलने का डर, कौंसिल अधिकारी बेखबर

शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर : मानसून का मौसम शुरू होते ही मच्छरों का कहर भी शुरू हो गया है। बारिश के बाद से हुए जल भराव की निकासी नहीं होती है। बारिश के वाद सड़कों किनारे, सार्वजनिक स्थानों, कालोनियों में खाली प्लॉटों या निचले स्थानों में हुए जल भराव में लारवा पनपने का खतरा बढ़ चुका है, लेकिन अभी तक इस संबंध में न तो नगर कौंसिल ने कोई कारगर कदम उठाया है और न ही सेहत विभाग इस संबंध में कोई काम कर सका है ।

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मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया इस मौसम में होने वाले ऐसे रोग हैं, जो मच्छरों के काटने से होते हैं। बरसात के मौसम में पनपने वाले मच्छर आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इतना ही नहीं, ऐसे में स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। गौर हो कि बीते साल शहर में डेंगू से पीड़ित लोगों का आंकड़ा 30 का पार कर गया था, लेकिन इस साल डेंगू अपना डंक दिखा ही न पाए, इसको लेकर कोई योजना तय नहीं बनाई गई है ।

शहर निवासी राहुल का कहना है कि कालोनी में खाली पड़े प्लॉटों में बारिश का पानी भर चुका है। उसमें मच्छर पनप रहे हैं और पानी सड़ने से बदबू भी आ रही है, जो मलेरिया और मच्छरजनित बीमारियों को न्योता दे रही हैं। इसके लिए प्रशासन के साथ ही आम आदमी को भी जागरूक होने की जरूरत है।

आर्य नगर निवासी शुभम का कहना है कि कालोनी के खाली प्लॉटों में बारिश का पानी जमा हो जाता है। उसमें मच्छर पनपते हैं। बारिश होने के बाद मच्छर और दूसरे की घर में घुस जाते हैं और सीएलएफ बल्ब की रोशनी में मंडराने लगते हैं। खाली प्लॉटों में भरे पानी में दवा या तेल डालना चाहिए, जिससे मलेरिया व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचाव हो सके। क्या कहना है शहरवासियों का

शहर निवासी परमजीत कौर का कहना है कि सीवरेज लाइन की निकासी की बेहतर व्यवस्था न होने से खाली प्लॉटों और दुकानों-घरों के आगे पानी ठहर जाता है। प्रशासन को सीवरेज लाइन की व्यवस्था करनी चाहिए व् निकासी के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। साथ ही समय-समय पर फॉ¨गग की जानी चाहिए, ताकि मच्छरों के प्रकोप से लोगों को निजात मिल सके।

शहर निवासी भू¨पदर ¨सह ने बताया कि उनके घर के सामने रेलवे की जमीन है और उसके आसपास जल भराव से मच्छर पनपना शुरू हो चुका है। मच्छरों की बढ़ती तादात को देखते हुए उन्होंने कचरे और जल भराव वाले स्थान पर डीडीटी दवा को डालने का काम अपने स्तर पर किया है, लेकिन उससे मच्छरों पर कोई असर नहीं हुआ है। सेहत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब तक जलभराव में विशेष प्रकार की दवा डालने का काम नहीं किया जाएगा तब तक डेंगू के लारवा का खतरा खत्म नहीं किया जा सकता। टीम घर घर जा कर लोगों को जागरूक कर रही है : सीएमओ

सीएमओ, बहरामपुर डॉ. रमेश कुमार का कहना है कि पिछले दिनों बरसात काफी हुई है, जिससे मच्छरजनित बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर पानी की टंकियों, कूलर और बर्तनों की जांच करती है और उनको इस संबंध में जानकारी देती है।

शहर में की जा रही हैं फॉ¨गग : सेनेटरी इंस्पेक्टर

सेनेटरी इंस्पेक्टर हरपाल ¨सह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहर में एक फॉ¨गग मशीन से फॉ¨गग की जा रही है और दूसरी फॉ¨गग मशीन खराब है और उसको ठीक करवाने के लिए गुरदासपुर भेजा गया है। जैसे ही दूसरी मशीन भी ठीक होकर आ जाएगी तो दोनों मशीनों से फॉ¨गग की जाएगी। मलेरिया के लक्षण

मलेरिया मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से फैलने वाला रोग है। सर्दी लगकर तेज बुखार आना, पसीने के साथ बुखार का उतरना, उल्टी, सिर दर्द और खून की कमी इसके लक्षण है। इसमें तेज बुखार के साथ ही कंपकंपी भी होती है। इसके अलावा थकान और कमजोरी भी होती है। जी मिचलाने के साथ ही उल्टी-दस्त भी होती है।

उपचार में बरतें सावधानी

मच्छर के काटने से व्यक्ति में मलेरिया के रोगाणु फैल सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति में मलेरिया लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत इलाज कराएं। इस बात का भी ध्यान रखें कि मलेरिया के मच्छर काटने से एक से चार हफ्ते बाद बीमारी के लक्षण नजर आ सकते हैं। चिकनगुनिया

चिकनगुनिया एक वायरल फीवर है, जो कभी-कभी महामारी का रूप भी ले लेता है। यह एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर दिन में काटते हैं। लक्षण

--शरीर में वायरस के पूरी तरह से आक्रमण करने पर जोड़ों में दर्द होता है।

--आमतौर पर बीमारी के दो और पांच दिन के बीच धब्बेदार दाने देखे जा सकते हैं।

--कुछ रोगियों को आंखों का संक्रमण हो सकता है। साथ ही आंखों में थोड़ा बहुत खून का रिसाव भी होता है।

बचाव: --संक्रमित व्यक्ति को लोगों से न मिलते हुए अपनी देखभाल और साफ सफाई पर खास ध्यान रखना चाहिए। -मच्छरदानी लगाकर सोएं। -हल्के रंग के कपड़े पहनें, जिनसे आपका शरीर पूरी तरह ढका हो। -घर के अंदर मच्छर मारने वाली दवा का छिड़काव करें। -घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगाएं। -ऐसी जगह पर न जाएं, जहां झाड़ियां हो, क्योंकि वहां पर ज्यादा मच्छर होते हैं। -अपने घर और आसपास सफाई का विशेष ध्यान दें। -कूलर और फ्रिज का पानी नियमित रूप से बदलते रहें और घर के आसपास पानी जमा न होने दें। -बारिश का पानी नालियों, पुराने टायरों, बाल्टी, खिलौनों आदि में न भरने दें।


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