नकली ट्रेवल एजेंट ठगी मारते है लाखों में, मगर नहीं पहुंच पाते सलाखों में
शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर विदेशी धरा की चकाचौंध दिखाकर लाखों की ठगी मारने वाले नकली ट्रेव
शंकर श्रेष्ठ, दीनानगर
विदेशी धरा की चकाचौंध दिखाकर लाखों की ठगी मारने वाले नकली ट्रेवल एजेंट पुलिसिया तंत्र की ढीली कारगुजारी से सलाखों में नहीं पहुंच पाते हैं। पीड़ित परिवारों की लंबी भागदौड़ के बाद पुलिस में पर्चा होने के बाद नकली ट्रेवल एजेंटों की गिरफ्तारी नहीं हो पाती। इससे उनका गोरखधंधा फलता-फूलता रहता है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि गिरफ्तारी न होने से नकली ट्रेवल एजेंट एक के बाद एक किसी न किसी को अपना शिकार बनाते रहते हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो दर्ज होने वाले पर्चे के हिसाब से 20 से 25 फीसद ही गिरफ्तारी हो पाती है। बाकी आरोपित किसी न किसी तरह से गिरफ्तारी से बचे रहते हैं।
आंकड़े के मुताबिक इस साल धोखाधड़ी करने वाले ट्रेवल एजेंटों के खिलाफ पुलिस ने 20 के करीब मामले दर्ज किए हैं, लेकिन इनमें से कुछ की ही गिरफ्तारियां हो पाई हैं। बाकी के ट्रेवल एजेंट सलाखों के पीछे नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में पीड़ित परिवार पुलिस कार्यालयों के चक्कर लगाकर थक जाते हैं। पीड़ित परिवार जब एजेंटों की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाते हैं, तो पुलिस छापेमारी करने का रटारटाया जवाब देकर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री कर लेती है।
ठोस कार्रवाई नहीं करती है पुलिस
नकली ट्रेवल एजेंटों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद पुलिस अगली कारर्वाई को ठंडे बस्ते में डाल देती है। पहले तो पर्चा दर्ज करने के बाद थानों से चालान भेजने में ढील बरती जाती है। चालान पेश करने के बाद भी लीपापोती वाली नीति अपनाई जाती है। भगोड़े करार देने की कार्रवाई भी नहीं की जाती है। न ही लाखों की ठगी करके पुलिस की नजरों से बचने वाले ट्रेवल एजेंटों की प्रॉपर्टी अटैच करने का खाका तैयार किया जाता है। यूं कहें कि मिलीभगत के चक्कर में पीड़ित परिवार इंसाफ को तरसता है। कुछ इस तरह से होती है पर्चा दर्ज करने की प्रक्रिया
ट्रेवल एजेंटों के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार एसएसपी के पास होता है या फिर उसकी गैर मौजूदगी में एसपी रैंक का कोई अधिकारी इंक्वायरी मार्क करता है। इसके बाद आर्थिक अपराध शाखा दोनों पार्टियों को बुलाकर पक्ष सुनती है। पेशी में तामील करने में तीन से चार माह का समय लग जाता है। दोनों पार्टियों को तीन-तीन, चार-चार बार सुना जाता है। इसके लिए कई मामलों में तो साल का भी समय लग जाता है। आरोप साबित होने पर आर्थिक अपराध शाखा प्रभारी केस को डीएसपी (डी) के पास भेजता है। इसके बाद एसएसपी मंजूरी देता है। फिर संबंधित थाने में पर्चा दर्ज किया जाता है। ट्रेवल एजेंटों का पूरा रिकॉर्ड खंगाला जाएगा : एसएसपी
उधर इस संदर्भ में जब एसएसपी एचएस भुल्लर ने कहा कि कहा कि ट्रैवल एजेंटों का पूरा रिकॉर्ड खंगाला जाएगा। ठगी करने वाले ट्रेवल एजेंटों का पूरा रिकार्ड खंगाला जाएगा। पूरी लिस्ट तैयार की जाएगी कि किन-किन ट्रेवल एजेंटों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। उनकी गिरफ्तारी के लिए संबंधित थानों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। विदेशों में भागने वाले ट्रेवल एजेंटों की एलओसी भी जारी की जाएगी, ताकि उन्हें भी पकड़ा जा सके।