ब्लैक फंगस के छह मरीज मिले, दो की मौत
अभी कोरोना का कहर थमा नहीं था कि ब्लैक फंगस की भी एंट्री हो गई है।
राजिदर कुमार, गुरदासपुर
अभी कोरोना का कहर थमा नहीं था कि ब्लैक फंगस की भी एंट्री हो गई है। जिले से संबंधित छह मरीज ब्लैक फंगस से पीड़ित पाए गए हैं। इनमें से दो मरीजों की मौत हो गई है। मरने वाले दोनों मरीजों में से एक कलानौर के गांव भिखारीवाल का 55 वर्षीय व्यक्ति है, जो सरकारी मेडिकल कालेज पटियाला व दूसरा 65 वर्षीय बटाला की गुरु राम दास कालोनी निवासी मरीज डीएमसी लुधियाना में भर्ती था। दोनों की उपचार के दौरान मंगलवार देर शाम को मौत हो गई।
सिविल सर्जन डा. हरभजन राम मांडी ने बताया कि उक्त दोनों मरीज कोरोना पाजिटिव थे। वहीं ब्लैक फंगस के चार अन्य मरीज बटाला ब्लाक से संबंधित हैं। ये काहनूवान रोड बटाला, न्यू आबादी उमरपुरा, ओंकार निवास निकट मास्टर मार्केट बटाला, पोस्ट आफिस लील कलां तहसील बटाला के रहने वाले हैं। इनमें से तीन का अमृतसर व एक का जालंधर में इलाज चल रहा है। हालांकि ओंकार निवास निकट मास्टर मार्केट व न्यू आबादी उमरपुरा बटाला निवासी दोनों मरीजों को कोरोना नहीं था। इनमें से एक की रैपिड रिपोर्ट नेगेटिव मिली थी जबकि दूसरे की रिपोर्ट अभी पेंडिग थी। इन मरीजों को है अधिक खतरा
--डायबिटिज के मरीज, जिन्हें स्टेरायड दिया जा रहा है।
--कैंसर का इलाज करा रहे मरीज।
--अधिक मात्रा में स्टेरायड लेने वाले मरीज।
--ऐसे कोरोना संक्रमित जो आक्सीजन या वेंटिलेटर के जरिए आक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
--ऐसे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम है।
--ऐसे मरीज, जिनके किसी अंग का ट्रांसप्लांट हुआ हो। किसे हो रहा ब्लैक फंगस
डाक्टरों ने ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ने के पीछे अधिक शुगर होने व स्टेरॉयड के अधिक उपयोग को बड़ी वजह बताया है। यह समस्या युवाओं में भी हो रही है। मधुमेह से पीड़ित कोविड या पोस्ट कोविड मरीजों को आंख की पलक में सूजन, कम दिखना आदि लक्षण हो तो ये ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं। सिविल सर्जन ने कहा है कि कोरोना मरीज ब्लैक फंगस के लक्षणों पर नजर रखें, इसकी अनदेखी न करें। ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने पर स्टेरायड की मात्रा कम करने या फिर बंद करने का सुझाव दिया गया है। ब्लैक फंगस के लक्षण
धुंधला या दोहरा दिखाई देना। चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन। दांत या जबड़े में दर्द। दांत टूटना, सीने में दर्द। सांस में परेशानी, नाक जाम होना, नाक से काला या लाल स्त्राव होना, गाल की हड्डी में दर्द होना आदि। ब्लैक फंगस से बचने के लिए बरतें एहतियात
चर्म रोग विशेषज्ञ डाक्टर राजिदर का कहना है कि धूल भरी जगह पर जाने से बचें। अनियंत्रित मधुमेह से बचें। घर-बाहर हर जगह मास्क लगाएं। स्टेरायड न लें। इम्युन सिस्टम को मजबूत करें। स्क्रब बाथ लें। सफाई पर पूरा ध्यान दें। शरीर को जूते, ग्लव्स से पूरी तरह ढंककर रखें।