Move to Jagran APP

अध्यापकों के तबादलों पर लगी रोक को हटाने की मांग

डीटीएफ (डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट) ने अध्यापकों के तबादलों पर लगी रोक हटाने की मांग की है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 05:54 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 05:54 PM (IST)
अध्यापकों के तबादलों पर लगी रोक को हटाने की मांग
अध्यापकों के तबादलों पर लगी रोक को हटाने की मांग

संवाद सहयोगी, कलानौर : डीटीएफ (डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट) ने अध्यापकों के तबादलों पर लगी रोक हटाने की मांग की है। फ्रंट के सदस्यों ने शिक्षा विभाग की लापरवाही के खिलाफ रोष जताया।

loksabha election banner

डीटीएफ पंजाब जिला गुरदासपुर के प्रधान हरजिदर सिंह वडाला बांगर व महासचिव गुरदयाल चंद ने तबादलों पर लगी रोक को हटाकर दूर के जिलों में काम करते अध्यापकों को अपने पैतृक जिलों में तबादले करवाने का अवसर देने की मांग की। इस दौरान अध्यापक नेता उपकार सिंह, डा. सतिदर सिंह, अमरजीत सिंह मनी, सुखजिदर सिंह, मनोहर लाल, हरदीप राज ने बताया कि विभाग में 3582, 6060 मास्टर, 650 लेक्चरार व कुछ अन्य भर्तियों में से अध्यापकों का एक बड़ा हिस्सा अपने घरों से 200-250 किलोमीटर दूर और मुश्किल परिस्थितियों में सेवाएं निभा रहा है। इन अध्यापकों में से 3582 के अध्यापकों में सिर्फ सीमावर्तीय जिलों के अध्यापकों को सख्त शर्तो के तहत तबादले के लिए अवसर दिया गया था। मगर उसे भी इस आधार पर यदि कोई और नया अध्यापक आएगा तभी रिलीव करके तबादले को लागू किया जाएगा। ऐसे हालात में अध्यापक के तबादले का होना असंभव है।

सरकार की आवश्यक संख्या के अनुसार अध्यापक भर्ती की प्रक्रिया को तेजी से मुकम्मल करने की कोई मंशा नहीं है। इसके साथ तीन साल से पहले 3582 अध्यापकों में से नान बार्डर अध्यापकों को तबादले करवाने का असर न देना भी निदनीय फैसला है। इस दौरान भूपिदर सिंह, सुरजीत मसीह, सतबीर सिंह, सतनाम सिंह, अजैब सिंह ने मांग की कि शीघ्र से शीघ्र तबादलों पर लगी रोक हटाकर सबके तबादले बिना किसी शर्त के की जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.