Move to Jagran APP

निगम बनने के बावजूद बरसों पुरानी अतिक्रमण की समस्या बरकरार

जिला गुरदासपुर के सबसे बड़े शहर बटाला को जब नगर कौंसिल से नगर निगम का दर्जा मिला तो शहरवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 04:01 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 04:01 PM (IST)
निगम बनने के बावजूद बरसों पुरानी अतिक्रमण की समस्या बरकरार
निगम बनने के बावजूद बरसों पुरानी अतिक्रमण की समस्या बरकरार

नरेश भनोट, बटाला

loksabha election banner

जिला गुरदासपुर के सबसे बड़े शहर बटाला को जब नगर कौंसिल से नगर निगम का दर्जा मिला तो शहरवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। यह खुशी उस समय दुगनी हो गई थी, जब पंजाब सरकार ने एसडीएम बलविदर सिंह को नगर निगम के प्रथम कमिश्नर का कार्यभार सौंपा गया था। प्रत्येक शहरवासी के मन में यह अरमान थे कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठकर शहर के सभी बाजारों से अतिक्रमण की समस्या से निजात दिलाई जाएगी और इसके नतीजे शुरू-शुरू में देखने को भी मिले। जब नवनियुक्त कमिश्नर बलविदर सिंह के दिशा निर्देशों के तहत रिकवरी इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह सोढी द्वारा रोजाना अपनी टीम के साथ निकल कर अलग-अलग बाजारों में कभी अतिक्रमण के खिलाफ और कभी प्रतिबंधित पालीथिन के खिलाफ कार्रवाई कर चालान काटे जाते, लेकिन यह सिलसिला ज्यादा देर तक नहीं चल सका।

रिकवरी इंस्पेक्टर के सेवानिवृत्त होने के एक वर्ष बाद भी नगर निगम अतिक्रमण की तरफ आंखें मूंदकर सोया हुआ है। हालांकि इस दौरान नगर निगम के पास मेयर के रूप में सुखदीप सिंह तेजा, सीनियर डिप्टी मेयर के रूप में अनुभवी चार बार के विजेता पार्षद सुनील कुमार सरीन तथा एक डिप्टी मेयर मौजूद हैं। लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद बरसों पुरानी अतिक्रमण की समस्या पहले से भी विकराल रूप धारण कर चुकी है। मुख्य बाजारों की सड़कें तो उतनी ही हैं जितनी आज से 50 वर्ष पूर्व थीं, लेकिन दुकानदारों द्वारा एक दूसरे के देखा देखी रोजाना 15 से 20 तक सड़क के दोनों और दुकानों का समान डिस्प्ले किया जाता है और ऊपर से इनके आगे खरीदारी करने आए ग्राहकों के दो पहिया वाहन अथवा कारे इत्यादि लग जाती हैं। इस कारण अधिकतर हिस्सों में दिन में कई बार जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसी परिस्थितियां ज्यादातर गांधी चौक से लेकर सिटी रोड तक देखने को मिलती हैं। हैरानी की बात तो यह है कि एक तरफ जहां नगर निगम अतिक्रमण के खिलाफ अपनी आंखें मूंदे हुए है, वहीं इन्हीं रास्तों से रोजाना दर्जनों की संख्या में अपनी सरकारी वातानुकूलित गाड़ियों में गुजरने वाले उच्च पुलिस अधिकारियों को भी यह दिखाई क्यों नहीं देता। इस पर विचार करना तो बनता है।

अभी कुछ रोज पहले ही अतिक्रमण की समस्या से जूझ रहे गांधी चौक के एक दुकानदार ने अपने पड़ोसी द्वारा उसकी दुकान के आगे लगाकर रखे गए समान बारे नगर निगम के कमिश्नर को लिखित शिकायत दी। उसने अनुरोध किया है कि पड़ोसी द्वारा किए गए अतिक्रमण के कारण उसकी दुकानदारी बिल्कुल चौपट हो चुकी है। कृपया करके मुझे इससे निजात दिलाई जाए। अब यह तो समय ही बताएगा कि दरखास्त पर नगर निगम द्वारा कब एक्शन लिया जाता है। हालांकि ऐसा ही एक अभूतपूर्व प्रयास वर्षो पूर्व नगर कौंसिल के प्रधान रह चुके भूतपूर्व प्रधान सुभाष सेखड़ी के समय किया गया था। जब उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के तहत मुख्य बाजार में सड़क के दोनों और दुकानों के आगे पांच फीट तक पीली लाइन लगा दी गई थी और दुकानदारों को अपना समान इस लाइन के अंदर तक रखने की इजाजत दी गई थी। यह फार्मूला काफी सालों तक कामयाब रहा। शहरवासियों का कहना है कि ऐसा ही एक प्रयास स्थानीय प्रशासन द्वारा दोबारा किया जाना चाहिए। कोट्स

समस्या उनके ध्यान में आ गई है। अतिक्रमण की समस्या का जल्द ही समाधान किया जाएगा।

-बलविंदर सिंह, निगम कमिश्नर।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.