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Batala blast: परिजनों के चीत्‍कार से आंसुुओं में डूबे श्‍मशान, अंतिम संस्‍कार के लिए जगह पड़ी कम

बटाला में पटाखा फैक्‍टरी में धमाके में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्‍कार के समय माहौल बेहद गमगीन था। परिजनों के चीत्‍कार से श्‍मशान आंसुओं में डूब गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 11:31 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 01:25 PM (IST)
Batala blast: परिजनों के चीत्‍कार से आंसुुओं में डूबे श्‍मशान, अंतिम संस्‍कार के लिए जगह पड़ी कम
Batala blast: परिजनों के चीत्‍कार से आंसुुओं में डूबे श्‍मशान, अंतिम संस्‍कार के लिए जगह पड़ी कम

बटाला, जेएनएन। यहां पटाखा फैक्‍टरी में हुए धमाके में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्‍कार के लिए शहर के दो श्मशानघाट भी कम पड़ गए। दाह स्थल नहीं मिले तो मजबूरन शवों को बाहर रखवाकर अंतिम संस्कार करवाया गया। अंतिम संस्‍कार के माहौल बेहद भावुक करने वाला था। परिजनों के चीख-पुकार से माहौल बेहद गमगीन माहौल था। लोग मारे गए लोगों के परिजनों काे संभालना मुश्किल हो रहा था।

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दोनों श्मशान घाट में चीत्कार मचा था। मृतकों के परिजनों की चीख दूर-दूर तक सुनार्द दे रही थी। बटाला के सिविल अस्पताल में 19 शवों का पोस्टमार्टम किया गया। उसके बाद शवों को सरकारी एंबुलेंस के जरिए ही दो श्मशानघाट भंडारी मोहल्ला के पास चन्नण शाह व पूरीयां श्मशानघाट कादियां चौक ले जाया गया। शव अधिक होने के कारण दाह स्थल कम पड़ गए। मजबूरन प्रशासन को शवों को श्मशानघाट के पास खाली जगह पर चिताओं का अंतिम संस्‍कार करवाना पड़ा।

श्‍मशान में अंतिम संस्‍कार के दौरान विलाप करते परिजन।

प्रशासन की इस कदम से वहां माहौल गरमा गया लेकिन लेकिन सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त व प्रशासन की सूझबूझ से बड़ा टकराव टल गया। मारे गए लोगों के परिजनाें का आरोप था कि प्रशासन उनके आंसू पोछने तक में नाकाम रहा। इस दौरान विलाप करने वालों की संख्या बढऩे से प्रशासन घबरा गया। उसने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को जल्दी समाप्त करने के लिए परिजनों पर दबाव भी डाला।

फैक्टरी मालिक सहित परिवार के सात लोगों की चिताएं जलीं

हादसे में फैक्टरी मालिक सहित सात लोगों की चिताएं एक साथ जली। उनमें सुरेंद्र सिंह, परमजीत सिंह, बिक्रजीत सिंह, इंद्रजीत, रजिंदर पाल सिंह, ओकार सिंह शामिल थे। इन्हें मुखाग्नि उनके एक रिश्तेदार ने दी। अब परिवार में एक महिला व उसकी बेटी बची है।

श्‍मशान में अंतिम संस्‍कार के दौरान रोते परिजन।

अंतिम संस्कार का खर्च सरकार ने किया

नायब तहसीलदार वरियाम सिंह व निर्मल सिंह ने बताया कि सरकार के आदेश हैं कि शवों के अंतिम संस्कार पर जितना खर्च होगा, वह सरकार खुद वहन करेगी। कुछ लोगों ने विरोध जताया कि अगर सरकार खर्च कर रही है तो सरकारी अधिकारी इसका ढिंढोरा क्यों पीट रहे है।

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पिता का शव लेने के लिए भटकता रहा युवक, प्रशासन ने बार-बार पकड़ाई किसी और की लाश

धमाके में अमृतसर के कोट खालसा निवासी सतनाम सिंह की भी मौत हो गई थी। उसका शव लेने के लिए बेटा दर-दर की ठोकरें खा रहा है। सतनाम सिंह एक दिन पहले ही ड्यूटी पर आए थे। मृतक के बेटे रवि कुमार ने बताया कि दोपहर के समय पिता काम के सिलसिले में फैक्टरी मालिक से बात कर रहे थे। उन्होंने मुझे फोन कर बताया भी कि फैक्टरी पहुंच गए हैं। एक घंटे बाद जब दोबारा पिता को फोन मिलाया तो कोई संपर्क नहीं हो सका। बाद में खबरों के जरिए पता चला कि फैक्टरी में धमाके के कारण कई लोग मारे गए हैं।

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रवि ने बताया कि अखबारों में पिता के शव की फोटो भी देखी है लेकिन उसे पिता का शव नहीं दिया जा रहा। वे सोचकर परेशान है कि आखिर प्रशासन ने शव कहां रख दिया। कहीं लावारिस समझ संस्कार तो नहीं कर दिया गया। आरोप है कि जिला प्रशासनिक अधिकारी किसी अज्ञात व्यक्ति के शव को उसके पिता का शव बनाकर उसे पकड़ा रहे हैं।

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रव‍ि ने कहा कि उसे संदेह है कि उसके पिता का दाह संस्कार कर दिया गया है जबकि उसे इस बारे में कोई जानकारी भी नहीं दी गई है। अगर उसे अपने पिता का शव नहीं मिला तो वह धरने पर बैठेगा। दूसरी तरफ रवि वीरवार को सिविल अस्पताल में पहुंचे सांसद सनी देयोल के सामने गुहार लगाने पहुंचा तो सुरक्षा गार्डों ने उन्हें मिलने से रोक दिया।

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