डाक्टरों ने मेडिकल सेवाएं ठप रखीं, सिविल सर्जन दफ्तर भी किया बंद
नान प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) कम किए जाने से नाराज सरकारी डाक्टरों ने पीसीएमएस एसोसिएशन के आह्वान पर एक बार फिर सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया।
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : नान प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) कम किए जाने से नाराज सरकारी डाक्टरों ने पीसीएमएस एसोसिएशन के आह्वान पर एक बार फिर सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया। सोमवार को डाक्टरों ने सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी छोड़ शेष सभी मेडिकल सेवाएं ठप रखी। इसके साथ सिविल सर्जन कार्यालय का घेराव कर उसे भी बंद कर दिया गया।
डाक्टरों का कहना है कि सरकार द्वारा जब तक उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता तब तक वह किसी तरह की सेवाएं शुरू नहीं करेंगे। उधर, डाक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पताल में मेडिकल सेवाएं और सिविल सर्जन कार्यालय में काम न होने की लोगों को पहले से जानकारी होने के चलते मरीज व अन्य लोग अस्पताल में नाममात्र ही पहुंचे। अस्पतालों व सिविल सर्जन कार्यालय में काम पूरी तरह से ठप रहने के कारण सरकार को भी लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। सिविल अस्पताल के डाक्टर, पांच सीएचसी और सभी पीएचसी के डाक्टर सोमवार को हड़ताल पर रहे। हड़ताल सुबह नौ से शाम पांच बजे तक चली। पीसीएमएस एसोसिएशन के जिला प्रधान डा.लव कुमार हंस ने कहा कि पहले अस्पतालों में कामकाज ठप रखकर हड़ताल की जा रही थी। लेकिन अब सरकार की तीसरी आंख कहलाए जाने वाले सिविल सर्जन कार्यालय को भी बंद करवाया गया है, ताकि सेहत संबंधी सभी कार्य पूरी तरह से ठप किए जा सकें। तभी तो सरकार उनकी मांगों की तरफ ध्यान देगी। उन्हें पता है कि उनकी हड़ताल के कारण मरीजों व अन्य लोगों को परेशानी हो रही है, परंतु सरकार अपनी जिद नहीं छोड़ रही। इस कारण उन्हें मजबूरन हड़ताल करनी पड़ रही है।
ये काम हुए प्रभावित
सोमवार को मेडिकल सेवाएं बंद होने से ओपीडी, इलेक्टिव सर्जरी, दिव्यांग सर्टिफिकेट, यूडीआइडी कैंपस, आयुष्मान सेहत बीमा योजना, टेलीमेडिसन, असला लाइसेंस, ड्राइविग लाईसेंस सहित कई प्रकार के सेहत सुविधा न मिलने से काम प्रभावित हुए। ओपीडी शून्य
डाक्टरों की हड़ताल से पहले सिविल अस्पताल की ओपीडी रोजाना 700 के करीब होती थी और मरीज पर्ची कटवाते ही डाक्टर से काफी आसानी से उपचार करवाते थे। लेकिन एक महीने से भी अधिक समय से डाक्टरों की हड़ताल के चलते सिविल की ओपीडी शून्य ही चल रही है, क्योंकि ओपीडी काउंटर बंद कर दिया गया है। सिर्फ इमरजेंसी वार्ड में इमरजेंसी पर्ची काटी जा रही है। डाक्टरों की मांगें
-- पहले से की मांग के अनुसार एनपीए 33 प्रतिशत किया जाए।
- एनपीए को पहले की तरह बेसिक तनख्वाह का हिस्सा माना जाए।
- एनपी को वेतन का हिस्सा मानते हुए पेंशन फिक्स की जाए।
--कोरोना महामारी से लड़ने वाले डाक्टरों को स्पेशल भत्ता दिया जाए।