अंगदान के लिए अस्पताल में 2 साल से नहीं लगा कैंप
अंधे को अगर आंखों की रोशनी मिल जाए तो उसकी दुनिया हसीन हो जाती है। लेकिन सिविल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से गुरदासपुर जिले के अधिकतर लोग अंगदान करने को लेकर जागरूक ही नहीं हैं। सूचना के अधिकार एक्ट के तहत दी गई जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल गुरदासपुर के प्रबंधकों ने पिछले 2 सालों में अस्पताल के अंदर एक भी सेमिनार नही लगाया। जिससे साफ सिद्ध होता है कि सिविल अस्पताल प्रशासन अंगदान करने संबंधी लोगों को जागरूक करने में पूरी तरह से फेल सिद्ध हुआ है।
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर
अंधे को अगर आंखों की रोशनी मिल जाए, तो उसकी दुनिया हसीन हो जाती है। लेकिन सिविल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की वजह से गुरदासपुर जिले के अधिकतर लोग अंगदान करने को लेकर जागरूक ही नहीं हैं। सूचना के अधिकार एक्ट के तहत दी गई जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल के प्रबंधकों ने पिछले 2 सालों में एक भी सेमिनार नहीं लगाया। जिससे साफ सिद्ध होता है कि सिविल अस्पताल प्रशासन अंगदान करने संबंधी लोगों को जागरूक करने में पूरी तरह से फेल सिद्ध हुआ है।
भारत में 15 फीसद लोग अंधेपन का शिकार
आंकड़ों के मुताबिक ¨हदुस्तान में 15 फीसद लोग आंखों की रोशनी की वजह से दुनिया देख नहीं पा रहे। हालांकि सरकारों ने ऐसे लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। जिसके पश्चात भारत में सभी स्वास्थ्य केंद्रों अस्पतालों के अंदर लोगों को इस बारे में जागरूक करना शुरू किया है। लोग जागरूक होना भी शुरू हुए इसी कड़ी के चलते गुरदासपुर में 8 साल पहले प्रेम तुल्ली नामक लेबोरेट्री चलाने वाले टेक्नीशियन ने मरने के उपरांत अपना शरीर सिविल अस्पताल को दान करने का फैसला लिया। उन्होंने इस मामले को लेकर पंजीकरण भी करा लिया। लेकिन उसके पश्चात से अब तक सिविल अस्पताल प्रशासन में एक-दो को छोड़कर लोगों ने अंगदान करने में कोई रुचि ही नहीं दिखाई।
नेत्र के साथ शरीर दान कर सकते हैं लोग
भारत में स्वास्थ्य केंद्रों की ओर से लोगों को नेत्रदान के साथ-साथ शरीर दान करने के लिए भी जागरूक किया जाता है। जिसमें जरूरतमंद व्यक्ति को अगर मान लीजिए किडनी की आवश्यकता है, तो उसे दान में मिले शरीर से किडनी निकाल कर उसकी ¨जदगी बचाई जा सकती है। अस्पताल प्रबंधक ने इस मामले को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई और ना ही सरकारें इस मामले कुछ कर रही हैं।
समाजसेवी संगठनों का भी नहीं लिया सहयोग
अंगदान को लेकर अगर सिविल अस्पताल प्रशासन समाजसेवी संगठनों प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग लेता है, तो आज अंगदान करने वाले लोगों की भारी संख्या में पंजीकरण हो जाता, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने किसी भी समाज सेवी संस्था का सहयोग लेना उचित ही नहीं समझा।
मैंने किया अपना पूरा शरीर दान : प्रेम तुली
गुरदासपुर के रहने वाले प्रेम पुली का कहना है कि 8 साल पहले उन्होंने डॉक्टर जलोटा से प्रेरित होकर शरीर दान करने का फैसला लिया, लेकिन उसके पश्चात कुछ लोगों ने उसका मजाक भी उड़ाना शुरू किया। पुली का कहना है कि अगर हमारा शरीर हमारे मरने के पश्चात किसी के काम आ जाए तो इससे बड़ा पुण्य का काम हो नहीं सकता उनकी आंखें मरने के बाद भी ¨जदा रहेंगी। और उसी दुनिया को देखती रहेंगी जिसे वह मरने के बाद छोड़ गए।