मुश्किलों को मात दे भोली ने तय किया घोड़ागाड़ी से मोटर गाड़ी का सफर
शादी के दो साल बाद ही गुरदासपुर के मोहल्ला इस्लामाबाद में रहने वाली भोली की जिदगी पर मुसीबतों के बादल छा गए।
सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर : शादी के दो साल बाद ही गुरदासपुर के मोहल्ला इस्लामाबाद में रहने वाली भोली की जिदगी पर मुसीबतों के बादल छा गए। पति नशे की दलदल में फंस गया और एक दिन बिना बताए उसे व छोटे छोटे बच्चों को छोड़कर कहीं चला गया और दोबारा फिर कभी नहीं लौटा। ऐसे मुश्किल समय में भोली को पिता का ही सहारा था। कुछ समय के बाद उनका भी निधन होने के कारण यह सहारा भी छिन गया। ऊपर से दो परिवारों को संभालने का बोझ भी उसके कंधे पर आ गया, लेकिन भोली ने कभी हार नहीं मानी। पिता की घोड़ाघाड़ी पर सवारियों को ढोने का काम शुरू कर दिया। जिदगी के सफर में मुश्किलों को पार कर अपनी जिदगी का रास्ता आसान बनाती चली गई। यही कारण है कि आज भोली एक खुशहाल जिदगी जी रही है और अब भी अपने परिवार गुजर बसर के लिए आटो चलाती है।
छोटी उम्र में बड़ी मुसीबतें
आज भी जब भोली अपने पुरानों दिनों की बात करती है तो उसके रौंगटे खड़े हो जाते है। आंखों से अपने आप आंसू छलकने लगते है। उसने बताया कि छोटी उम्र में ही उसने बड़ी मुसीबतों का सामना किया है। जब वह मात्र 14 साल की थी तो उसके दो भाइयों की थोडे़-थोड़े समय के अंतर में किडनी की बीमारी से मौत हो गई। दो बेटों की मौत का गम दिल में छुपाकर उनके पिता परिवार का पालन पोषण करते रहे।
शादी के बाद भी नहीं मिला सुख
भोली का कहना है कि हर लड़की का सपना होता है कि घोड़े पर सवार एक राज कुमार आएगा और उसे रानी की तरह ले जाएगा। उसके ख्वाब भी कुछ ऐसे ही थे। 18 साल की उम्र में परिवार ने उसकी शादी कर दी। ससुराल पहुंची तो उसके सारे सपने टूट गए। उसका पति कश्मीर नशेड़ी निकला। वह दिहाड़ी लगाकर उतनी कमाई नहीं करता था, जितनी नशे में उड़ा देता था। जब वह उसे नशा करने से रोकती थी तो वह झगड़ा करता था। शादी के दो तीन साल के बाद ही उसका पिता एक दिन घर से चला गया और आज तक घर नहीं लौटा। जिसके बाद वह फिर से अपने मायके गांव गजनीपुर चली गई। कुछ समय के बाद ही उसके पिता की भी मौत हो गई। इसके चलते उसके दो बच्चों के साथ-साथ उसकी मां, एक बहन व एक भतीजी की जिम्मेदारी भी उसके कंधों पर आ गई। उसने बताया कि अपने संघर्ष से उसने न केवल उक्त दोनों परिवारों को अच्छा गुजर बसर किया, बल्कि अपनी बहन व भतीजी की शादी भी करवाई। मायके परिवार के कर्तव्य पूरे करने के बाद उसने अपनी बेटी पवन को अच्छी शिक्षा दिलाई और अब उसकी भी शादी करवा दी है। उनका बेटा बीसीए कर रहा है।
ताया ने बढ़ाया हौसला
भोली ने बताया कि उसके गांव के ही एक मुंह बोला व्यक्ति बंता सिंह रहते थे, जिसको वह ताया जी कहती थी। पिता की मौत के बाद जब उसने घोड़ागाड़ी चलाना शुरू किया तो उन्होंने उसका हौसला बढ़ाते हुए कहा कि अगर तुमने कदम आगे बढ़ा दिया है तो अब किसी भी सूरत में पीछे मत खींचना वरना दुनिया तुमे चैन से नहीं जीने देगी। ताया के हौसला बढ़ाने के बाद उसने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि घोड़ागाड़ी से आटो तक पहुंचने में उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ा।
पहली कमाई पर हुई थी पिटाई
भोली ने बताया कि पिता की मौत के बाद घर में रोटी के लाले पड़ गए। उन दिनों गुरदासपुर शहर में किन्हीं कारणों से बंद चल रहा था। इसी दौरान वह पिता की घोड़ागाड़ी लेकर शहर आई गई और सवारियां ढोने लगी। बंद होने के कारण उसे पहले ही दिन अच्छा काम मिला और उसकी पहले ही दिन 500 रुपये की कमाई हुई। जब वह पैसे लेकर घर पहुंची तो उसकी मां को लगा कि उसने कोई गलत काम करके पैसे लिए है। इस लिए उसकी मां ने उसकी पिटाई कर दी। हालांकि बाद में उसके ताया और उसके समझाने पर उसकी मां समझ गई।
घोड़ागाड़ी से मोटर गाड़ी तक
भोली ने बताया कि उसने अपनी जिदगी का सफर पिता की घोड़ागाड़ी चलाने से शुरू किया था। कुछ साल बाद ही उसने तीन टायर वाला आटो ले लिया। उसने बताया कि आटो आने के कारण घोड़ागाड़ी का काम तकरीबन समाप्त हो गया था। इसके चलते उसे भी आटो लेना पड़ा। अब पिछले पांच वर्ष से वह मैजिक आटो में सवारिया ढोने का काम कर रही है। उन्होंने बताया कि उनके पिता एक क्वालिस गाड़ी भी है। जिसे उनका बेटा सागर पढ़ाई में फ्री होने के समय चलाता है।