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जिसके पास ज्ञान के चक्षु नहीं वह दृष्टिहीन

सतगुरु माता सुदीक्षा सविदर हरदेव जी की अपार कृपा से दीनानगर स्थित निरंकारी भवन में विशेष कार्यक्रम ब्रांच के मुखी महात्मा अमरजीत सिंह की अध्यक्षता में हुआ। सत्संग कार्यक्रम के दौरान मुख्य मंच पर महात्मा बलदेव सिंह विराजमान हुए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 11:12 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 11:12 PM (IST)
जिसके पास ज्ञान के चक्षु नहीं वह दृष्टिहीन
जिसके पास ज्ञान के चक्षु नहीं वह दृष्टिहीन

संवाद सहयोगी, दीनानगर : सतगुरु माता सुदीक्षा सविदर हरदेव जी की अपार कृपा से दीनानगर स्थित निरंकारी भवन में विशेष कार्यक्रम ब्रांच के मुखी महात्मा अमरजीत सिंह की अध्यक्षता में हुआ। सत्संग कार्यक्रम के दौरान मुख्य मंच पर महात्मा बलदेव सिंह विराजमान हुए। सत्संग के दौरान सर्वप्रथम महापुरुषों द्वारा सतगुरु की शिक्षाओं को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। इनके बाद स्टेज पर विराजमान महात्मा बलदेव सिंह ने संगत से कहा कि हम अक्सर समाज में दृष्टिहीन भक्ति को अंधा समझते हैं लेकिन, सतगुरु के मुताबिक अंधा वह होता है जिसके पास प्रभु नाम रूपी ज्ञान के चक्षु नहीं होते। उन्होंने कहा कि ये चक्षु सतगुरु द्वारा इंसान को प्रदान किए जाते हैं और तब संभव है जब इंसान के मन में प्रभु जानने की इच्छा हो।

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महात्मा जी ने कहा कि जो अपने इस अज्ञानता रूपी अंधकार को सतगुरु के ज्ञान रूपी रोशनी से युक्त कर लेते हैं, उनका संसार में रुतबा निराला होता है। उन्होंने कहा कि इंसान के पास समय होने के बावजूद भी वह अपना सारा जीवन माया की गफलत में गुजार देता है, जबकि उसका वास्तविक उद्देश्य प्रभु प्राप्ति है। महात्मा जी ने कहा कि जो समय रहते सत गुरु से ज्ञान चक्षु प्राप्त कर लेते हैं और सतगुरु के कहे मुताबिक जीवन विचरण करते हैं। उनका जीवन सदा सुख में और परोपकार के भाव से युक्त रहता है। वह संसार में हर किसी का भला करते चले जाते हैं। महात्मा बलदेव जी ने कहा कि मृत्यु के पश्चात अगर इस आत्मा ने परमात्मा को जाना होगा, तो यह आत्मा परमात्मा में मिल जाएगी। लेकिन, अगर इस आत्मा ने अपने वास्तविक मूल को नहीं पहचाना, तो इसे जन्म-मरण के चक्र में आना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला इंसान का तब तक चलता रहता है, जब तक वह सतगुरु से ज्ञान चक्षु प्राप्त करके अपने जीवन को सतगुरु को समर्पण नहीं करता। अंत में उन्होंने सतगुरु की शिक्षाओं को कर्म रूप देने के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर ब्रांच के संचालक महात्मा मनोज कुमार, सह-संचालिका बहन शशि बाला, मीडिया प्रभारी एवं प्रचारक महात्मा प्रिसिपल विजय कुमार सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।


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