रेट व झाड़ कम होने से बासमती काश्तकारों को पड़ी दोहरी मार, किसान चिंतित
कोरोना के चलते पहले ही किसानों की हालत पतली बनी हुई थी। इस साल बासमती फसल का रेट व झाड़ कम होने से किसानों को दोहरी मार पड़ रही है। इससे किसान चितित है।
संवाद सहयोगी, कलानौर : कोरोना के चलते पहले ही किसानों की हालत पतली बनी हुई थी। इस साल बासमती फसल का रेट व झाड़ कम होने से किसानों को दोहरी मार पड़ रही है। इससे किसान चितित है।
काश्तकार बलजिदर सिंह, हरदेव सिंह, भगवंत सिंह, हरजीत सिंह, संतोख सिंह, बलजीत सिंह आदि ने बताया कि गेहूं के सीजन के दौरान फसल खराब होने से उनका खर्च ही पूरा हुआ था। अब धान की फसल पर अधिक आमदनी होने की पूरी उम्मीद थी। इस बार धान का झाड़ आधा व रेट भी कम होने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
इस बार कोरोना महामारी के चलते बाहरी राज्यों से लेबर न आने से रोपाई प्रति एकड़ पांच हजार रुपये देने के अलावा बासमती को खाद दवाइयां व अन्य मेहनत समेत प्रति एकड़ 15 हजार खर्च आया है। इस समय बासमती का झाड़ प्रति एकड़ 12 से 14 क्विंटल निकला है। पिछले वर्ष यह 18 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ था। पिछले साल बासमती का रेट 2600 रुपये प्रति क्विंटल था। इस बार 1800 रुपए प्रति क्विंटल बासमती रेट है और उनकी सोने जैसी बासमती की मंडियों में बेकद्री हो रही है।