एफआइआर में जाति न लिखने के आदेश से पुलिस अंजान
भले ही पंजाब सरकार एफआइआर में जाति सूचक शब्द का प्रयोग ना किए जाने पर सहमति जता चुकी है लेकिन, पुलिस अभी भी एफआइआर में अपराधी की जाति को लिखती आ रही है।
संवाद सहयोगी, दीनानगर : भले ही पंजाब सरकार एफआइआर में जाति सूचक शब्द का प्रयोग ना किए जाने पर सहमति जता चुकी है लेकिन, पुलिस अभी भी एफआइआर में अपराधी की जाति को लिखती आ रही है। विगत बुधवार व वीरवार को दर्ज होने वाली एफआइआर में जाति सूचक शब्द लिखे जाने को लेकर पुलिस खुद यह तय नहीं कर पा रही है कि जाति सूचक शब्द का प्रयोग एफआइआर में हो या ना हो।
थाना प्रभारियों का मामले में कहना है कि वह इस मामले में अपनी मनमर्जी करके किसी तरह के विभाग झमेले में नहीं पड़ना चाहते जैसे ही, उनके पास इस मामले को लेकर लिखित आदेश आएंगे, वह उस के तुरंत बाद एफआइआर में जाति सूचक शब्द लिखना बंद कर देंगे। उधर, कई आला अधिकारी खुद को इस मामले संबंधी पूरी तरह से अंजान बता रहे हैं। उनका भी कहना है कि डीजीपी कार्यालय से आदेश आए बिना वह किसी प्रकार की मनमानी नहीं कर सकते।
एडवोकेट रणबीर आकाश का कहना है कि एक ओर किसी को जाति सूचक शब्द कहे जाने पर भारतीय दंड संहिता के अनुसार मामला दर्ज करने का अधिकार पुलिस को दिया गया है वहीं, दूसरी ओर जब पुलिस द्वारा किसी आरोपी व्यक्ति से एफआइआर दर्ज करने के दौरान जाति पूछी जाति है तो, यह भी कहीं न कहीं भारतीय दंड संहिता के नियमों की अवहेलना कर रहे होते हैं। जिसे एआइआर में जाति ना लिखे जाने का फैसला सराहनीय है। तकनीकी रूप से पुलिस को भविष्य में कोई परेशानी होगी, वह कहना महज एक बहाना है। पुराने ढर्रे पर काम करने वाली पुलिस अगर एफआइआर में अपराधी के कुछ ऐसे निशान लिखना शुरु कर दे जिससे उसकी पहचान आसानी से हो सकेगी। हाईकोर्ट ने दिए थे ये आदेश
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों पर चंडीगढ़ और पंजाब ने एफआइआर में अपराधी की जाति का हवाला ना देना स्वीकार कर लिया था, इसको लेकर पंजाब सरकार वाहवाही लूट चुकी है। एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी एफआइआर में घोषित बदलाव नहीं किया जा सका है। पुलिस खुद भी इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है, हालांकि अनुशासनिक पुलिस फोर्स होने के कारण उन्हें जारी होने वाले आदेश का पालन हर हाल में करना होता है।, भविष्य में इस बदलाव से भगोड़े आरोपियों को पकड़ने में खासी परेशानी होना अभी से तय माना जा रहा है। कुछ बुद्धिजीवी इस फैसले को सही करार दे रहे हैं, क्योंकि किसी की जाति को किसी अपराध के साथ जोड़ कर देखना या उसे दस्तावेजों में लाना अनुचित है। मेरे ध्यान में नहीं मामला : डीएसपी
उधर इस संदर्भ में जब डीएसपी मनोज से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो अभी छुट्टी पर हें। यह मामला उनके ध्यान में नहीं है।
नहीं लिखी जा सकती जाति : एसएसपी
एसएसपी एचएस भुल्लर का कहना है कि किसी भी एफआइआर पर जातिसूचक शब्दों का लिखना गलत है। लोगो में जागरूकता न होने के कारण लोग खुद ही जाति लिखा देते है। पुलिस प्रशासन भी अपनी और से कोशिश कर रही है कि किसी भी अपराधी का जाति उजागर न की जाए। अगर फिर भी कही जाति लिखा जा रहा है तो उनको दुरुस्त करने का निर्देश दिया जाएगा।