स्पोर्ट्स कोटे में गुरदासपुर की श्रेया पंजाब में प्रथम, डॉली दूसरे नंबर पर
पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड की ओर से घोषित दसवीं कक्षा के परिणाम में स्पोर्ट्स कोटे में बाल विद्या मंदिर हाई स्कूल गुरदासपुर की छात्रा श्रेया ने 98.62 फीसद अंक प्राप्त कर पंजाब में प्रथम स्थान पाया। इसी स्कूल की छात्रा डॉली ने स्पोर्ट्स कोटे में 97.69 फीसद अंक प्राप्त कर पंजाब में दूसरा स्थान हासिल किया है। इतनी बढ़ी उपलब्धि विद्यार्थियों के साथ साथ स्कूल व समूह जिले के लिए गर्व की बात है।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड की ओर से घोषित दसवीं कक्षा के परिणाम में स्पोर्ट्स कोटे में बाल विद्या मंदिर हाई स्कूल गुरदासपुर की छात्रा श्रेया ने 98.62 फीसद अंक प्राप्त कर पंजाब में प्रथम स्थान पाया। इसी स्कूल की छात्रा डॉली ने स्पोर्ट्स कोटे में 97.69 फीसद अंक प्राप्त कर पंजाब में दूसरा स्थान हासिल किया है। इतनी बढ़ी उपलब्धि विद्यार्थियों के साथ साथ स्कूल व समूह जिले के लिए गर्व की बात है।
लेक्चरर बनना चाहती हैं श्रेया
स्पोर्ट्स कोटे में पंजाब में प्रथम रहने वाली बाल विद्या मंदिर हाई स्कूल की श्रेया ने बताया कि उसके पिता नरेश कुमार दुकानदार है। उनकी माता सुलेखा गृहिणी है। वह दो बहनें है। आगे चल कर वह नान मेडिकल की पढ़ाई करके लेक्चरर बनना चाहती हैं। उसने बताया कि उसे अपनी मेहनत के चलते यह तो उम्मीद थी कि वह स्टेट मैरिट में आएगी, लेकिन यह उम्मीद नहीं थी कि वह पंजाब में प्रथम आ जाएगी। उसने बताया कि वह स्कूल के अलावा पढ़ाई तो करती है, लेकिन उसने कभी टाइम फिक्स करके पढ़ाई नहीं की। उसका जब दिल चाहे, वह आराम करती है और जब दिल चाहे पढ़ाई करती है। वह स्काई मार्शल आर्ट व चैस में प्रदेश स्तर तक खेल चुकी है। उसने बताया कि इस उपलब्धि तक पहुंचने में उसके माता पिता, अध्यापकों व बहन का विशेष योगदान रहा है। डॉक्टर बनना चाहती हैं डॉली
बाल विद्या मंदिर स्कूल की ही स्पोर्ट्स कोटे में पंजाब में दूसरा स्थान हासिल करनी वाली डॉली पुत्री राकेश कुमार ने बताया कि उसके पिता बिजनेसमैन है। उसकी माता कमलेश कुमारी अध्यापक है। वह आगे चल कर मेडिकल की पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहती है। वह दो बहनें तथा एक भाई है। उसने बताया कि उसे स्टेट मैरिट में रहने की पूरी उम्मीद थी। वह पढ़ाई के साथ साथ स्काई मार्शल आर्ट व चैस में प्रदेश स्तर पर खेल चुकी है। वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए स्कूल के अलावा रोजाना सात से आठ घंटे पढ़ाई करती है। उसके लक्ष्य को हासिल करने में उसके अभिभावकों व स्कूल स्टाफ से पूरा सहयोग मिलता रहा है।