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बरसात में भी सूखे दरिया व नहरें, इन राज्यों को झेलना पड़ेगा जलसंकट

बारिश के मौसम में भी दरिया व नहरें सूखी पड़ी हैं। ऐसे में इस बार पंजाब और राजस्थान के कई क्षेत्र पानी के लिए तरसेंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 12:21 PM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 08:59 PM (IST)
बरसात में भी सूखे दरिया व नहरें, इन राज्यों को झेलना पड़ेगा जलसंकट
बरसात में भी सूखे दरिया व नहरें, इन राज्यों को झेलना पड़ेगा जलसंकट

फिरोजपुर [प्रदीप कुमार सिंह]। बारिश के मौसम में भी दरिया व नहरें सूखी पड़ी हैं। ऐसे में इस बार पंजाब और राजस्थान के कई क्षेत्र पानी के लिए तरसेंगे। बरसात के दिनों में पानी अधिक होता है, लेकिन इस समय नहरों में आधा पानी है। राजस्थान और बीकानेर की नहरों में 21000 क्यूसेक पानी की जरूरत है, लेकिन सप्लाई सिर्फ 12000 क्यूसेक की हो रही है। सतलुज में भी हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड तक मात्र 456 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। सिंचाई विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

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पहाड़ों पर कम बारिश व बर्फबारी होने से पौंग व भाखड़ा बांध से ब्यास व सतलुज के रास्ते हरिके हेड को कम पानी छोड़ा जा रहा है। अभी से हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड तक कई जगहों पर सतलुज सूखी दिखाई पड़ रही है। हुसैनीवाला हेड से भी दो नहरें निकली है, जिनमें कितना पानी छोड़ा जाए अधिकारी इससे असमंजस में हैं।

नहरी विभाग के अधिकारी ने बताया कि हरिके हेड से निकलने वाली राजस्थान नहर से जिला श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाढ़मेर, चुरू व जोधपुर की 20 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है, जबकि इन जिलों के कई शहरों द्वारा नहरी पानी को पेयजल के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

बीकानेर नहर के पानी से पंजाब के फिरोजपुर, फरीदकोट, फाजिल्का, मुक्तसर जिलों में खेती का कार्य करने के साथ ही पेयजल के रूप में भी इसका प्रयोग होता है। ऐसे में अभी से ही नहरों का पानी कम होने से वर्तमान के साथ ही आगामी फसलों व पेयजल के लिए चिंता सताने लगी है।

हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड तक फिर सतलुज के सूखने की आशंका

अप्रैल से जुलाई तक हरिके हेड से हुसैनीवाला हेड तक भारत-पाकिस्तान के मध्य 90 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली सतलुज दरिया जलाभाव में सूख गई थी। पिछले चार दिनों से जिस प्रकार से हरिके हेड से मात्र 456 क्यूसिक ही पानी हुसैनीवाला हेड की ओर छोड़ा जा रहा है, इससे दरिया का अधिकांश हिस्सा अभी से सूखा दिखाई दे रहा है। बीते वर्ष दरिया अपने उफान पर थी और बाढ़ जैसे हालात थे, लेकिन इस बार बाढ़ की कौन कहे दरिया पर ही सूखे का खतरा मंडरा रहा है।

जलीय जीव-जंतुओं की वजह से छोड़ने पड़ रहा पानी

नहरी विभाग हरिके हेड के एक्सईएन हाकम सिंह का कहना है कि बांधों से ही कम पानी हरिके हेड की ओर छोड़ा जा रहा है, जिससे नहरों में क्षमता से कम पानी छोड़ा जा रहा है। यह पानी जलीय जीव-जंतुओं को देखते हुए उन्हें मजबूरन छोड़ना पड़ रहा है। गत वर्ष इस मौसम में हेड में पर्याप्त पानी होने पर राजस्थान व बीकानेर नहर में पर्याप्त पानी छोड़ने के साथ ही हुसैनीवाला हेड की ओर 21 से 24 हजार क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।

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