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सीमावर्ती गांवों के बच्चों में पढ़ाई का क्रेज, दरिया पार कर भी पहुंच रहे स्कूल

अंतर्राष्ट्रीय हिद-पाक सीमा से सरहद से महज 500 मीटर दूरी पर स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गट्टी राजोके में स्कूल आने का विद्यार्थियों में खासा उत्साह दिख रहा है। सात माह बाद बाद स्कूल खुलने पर छात्र मुंह पर मास्क आंखों में खुशी व पीठ पर बैग लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं। स्कूल खुलने के तीसरे दिन स्कूल पहुंचने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा बढ़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:49 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:49 AM (IST)
सीमावर्ती गांवों के बच्चों में पढ़ाई का क्रेज, दरिया पार कर भी पहुंच रहे स्कूल
सीमावर्ती गांवों के बच्चों में पढ़ाई का क्रेज, दरिया पार कर भी पहुंच रहे स्कूल

तरूण जैन, फिरोजपुर :

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अंतर्राष्ट्रीय हिद-पाक सीमा से सरहद से महज 500 मीटर दूरी पर स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गट्टी राजोके में स्कूल आने का विद्यार्थियों में खासा उत्साह दिख रहा है। सात माह बाद बाद स्कूल खुलने पर छात्र मुंह पर मास्क, आंखों में खुशी व पीठ पर बैग लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं। स्कूल खुलने के तीसरे दिन स्कूल पहुंचने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा बढ़ रहा है। बुधवार को दो सौ विद्यार्थी पढ़ने के लिए स्कूल पहुंचे।

स्कूल में नौंवी कक्षा में 125 में से 54 विद्यार्थी हाजिर हुए तो दसवी में 100 में से 42 विद्यार्थी, 11वीं में 106 में से 28 बच्चे और 12वीं में 66 में से 44 बच्चे उपस्थित हुए। स्कूल में सीमा के साथ लगते 14 गांवो के बच्चे पढ़ने आते है और करीब 18 विद्यार्थियों में सात छात्र सतलुज दरिया पार करके रोजाना शिक्षा ग्रहण करने आ रहे है।

छात्राओं किरणा कौर, रमनदीप कौर, पूजा, अंबो बाई ने कहा कि वह बार्डर पर रहकर देश के सिपाही का काम करती है और उन्हें कोरोना से डर नहीं लगता। उन्होंने कहा कि अच्छी तालिम हासिल कर वह कोरोना जैसी भयंकर बीमारियों से निपटने की खुद योजना तैयार करेगी।

छात्रा कैलाश कौर, सर्बजीत कौर, मनीश कौर, काजल ने कहा कि बार्डर दे पास गांव में रहकर सारा दिन मुश्किलों से निपटते हैं और अब भविष्य बनाने के लिए सात माह बाद स्कूल जा रहे हैं।

अभिभावक बोले, स्कूलों में घर से बेहतर प्रबंध

अभिभावको मुख्तियार सिंह निवासी गांव भखड़ा, हजारा के सुरजीत सिंह, झुगे मेहताब वाले के अमरजीत मक्खण सिंह ने कहा कि स्कूल में बच्चों के लिए जो प्रबंध है, वह घर से भी ज्यादा अच्छे हैं। इसलिए उन्हें अपने बच्चे स्कूल भेजने में कोई डर नहीं लगता। अगर बार्डर पर युद्ध भी होता है वह तब भी अपने बच्चों को निधड़क जंग के लिए भेजेंगे।

200 छात्र पहुंचे स्कूल

प्रिसिपल डा. सतिदर सिंह ने कहा कि जिस तरह से बच्चो में पहले दिन ही स्कूल आने का उत्साह था और उनकी लगन थी, इससे साबित होता है कि सीमावर्ती लोग हर मुसीबत का डटकर मुकाबला करने को तैयार है। स्कूल में चार कक्षाओं की 396 विद्यार्थियों की संख्या है। पहले दिन स्कूल में 158 विद्यार्थी पहुंचे थे। बुधवार को भी स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या में 200 का आंकड़ा पार था। सीमावर्ती जिले में 310 सरकारी व निजी स्कूल हैं, जिनमें नौंवी से बाहरवीं तक शिक्षा दी जाती है, जबकि इनमें 124 स्कूल सरकारी है। प्राइवेट स्कूलो में नौंवी कक्षा में 6946, दसवीं में 7501, गयारहवीं में 5859, बाहरवीं में 7347 विद्यार्थी पढ़ते है, जबकि सरकारी स्कूलो में नौंवी में 8251, दसवीं में 6706, गयारहवीं में 6383, बाहरवीं में 4832 विद्यार्थी दाखिल है।

कोरोना से बचाव के लिए किए गए सभी प्रबंध : डिप्टी डीईओ

डिप्टी डीईओ कोमल अरोड़ा ने कहा कि सीमावर्ती विद्यार्थियो में स्कूल जाने का पूरा उत्साह रहता है और शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलो में कोविड से बचाव के लिए सभी प्रबंध मुकम्मल कर रखे हैं ताकि किसी विद्यार्थी को परेशानी ना हो।


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