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सफाई कर्मियों ने सीएम को भेजी सौ से ज्यादा चिट्ठियां, लिखी दुख भरी दास्तां

छह माह से वेतन न मिलने से परेशान सफाई कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को सौ से अधिक चिट्ठियां लिखकर भेजीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 11:18 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 11:18 PM (IST)
सफाई कर्मियों ने सीएम को भेजी सौ से ज्यादा चिट्ठियां, लिखी दुख भरी दास्तां
सफाई कर्मियों ने सीएम को भेजी सौ से ज्यादा चिट्ठियां, लिखी दुख भरी दास्तां

जागरण संवाददाता, अबोहर : छह माह से वेतन न मिलने से परेशान सफाई कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को सौ से अधिक चिट्ठियां लिखकर भेजीं हैं। इनमें कर्मचारियों ने अपनी दुख भरी दास्तां सुनाई है। सफाई सेवकों की शनिवार को दूसरे दिन भी हड़ताल होने से शहर में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। यूनियन के नेता मुकेश सोनी ने बताया कि सफाई कर्मचारियों को छह माह से वेतन नहीं मिला है। धरना लगाने के बावजूद न तो नगर परिषद और न ही प्रशासन ने उनकी सुनवाई की है। सोमवार को शहर में रोष रैली निकाली जाएगी और अबोहरवासियों को उनके संघर्ष में साथ जुड़ने की अपील की जाएगी।

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रोजाना उठाया जाता है 35 टन कूड़ा

सफाई सेवकों की हड़ताल से शहर में कूड़े के ढेर लगने शुरू हो गए हैं। शहर में प्रतिदिन 165 कर्मचारियों द्वारा करीब 35 टन कूड़ा इकट्ठा किया जाता है। दो दिन सफाई न होने से शहर में करीब 70 टन कूड़ा जमा हो गया है। मुख्य मार्गो पर ही नहीं गलियों सहित घरों में कूड़ा जमा होना शुरू हो गया है। गर्मी के कारण घरों में कूड़ा इकट्ठा होने से लोगों को भी परेशानी हो रही है।

इलाज के लिए तरस रहा सफाई सेवक ओम प्रकाश

सफाई कर्मचारी ओम प्रकाश पिछले छह महीने से बीमारी के कारण बिस्तर पर हैं। वह पत्नी से ड्यूटी करवा रहा है, लेकिन वेतन नहीं मिला।इलाज के लिए पैसा न होने के कारण दिन प्रतिदिन उसकी तबीयत बिगड़ती जा रही है। ओमप्रकाश की पत्नी का आधा दिन सफाई में और आधा दिन ओमप्रकाश की सेवा करने में गुजरता है।

यह लिखा है मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में

सफाई सेवक शालू ने पत्र में लिखा है कि माननीय मुख्यमंत्री साहिब हमें छह महीने से वेतन नहीं मिला है। इस कारण हमारे घर का राशन खत्म हो गया है। हमारे बच्चों का स्कूल में दाखिला नहीं हुआ। हमारे माता-पिता की दवाई खत्म हो गई है। बैंक का लोन नहीं भरने से नोटिस आ गए हैं। आपसे बिनती है कि हमारी बनती पगार हमें दी जाए, ताकि हम अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें।


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