युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद व शिवाजी होने चाहिए: स्वामी विज्ञानानंद
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री शिव मंदिर वाइट टेंपल में नशामुक्त शिवरात्रि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, अबोहर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री बाला जी आशीर्वाद संघ के सहयोग से स्थानीय श्री शिव मंदिर वाइट टेंपल में नशामुक्त शिवरात्रि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर स्वामी विज्ञानानंद ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व का विशिष्ट स्थान है। भगवान शिव का एक नाम नीलकण्ठ भी है अर्थात भोलेनाथ महादेव को विश्व के कल्याणार्थ हलाहल विष का पान भी करना पड़े तो वो अपने कर्त्तव्य से कदापि पीछे नहीं हटते। यहां प्रभु संस्कृति और प्रकृति संरक्षक युवा की भूमिका का निर्वाह करते हैं। आज युवा वर्ग को उनके दिव्य व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर प्रकृति और संस्कृति की रक्षा करते हुए एक आदर्श नागरिक की भूमिका निभानी चाहिए। चूंकि किसी भी राष्ट्र की युवा शक्ति उस राष्ट्र की उन्नति का प्रथम व सुदृढ़ आधार होती है।
विडम्बना का विषय है कि आज भारत का युवा वर्ग पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर नशा, अवसाद व भ्रष्टाचार जैसे कामों में संलिप्त होकर राष्ट्र को पतन की कगार तक ले जा रहा है। नशामुक्त शिवरात्रि के अनुसार हर वो व्याधि जो जनमानस को शांति से दूर करे उन व्याधियों से मुक्ति का नाम और सर्व जगत कल्याणमयी पथ के अनुगमन का नाम ही नशामुक्त शिवरात्रि महापर्व है। स्वामी के अनुसार अवसाद से मुक्ति का उपाय नशा नहीं अपितु इस मानसिक व्याधि को खत्म करने के लिए आत्मिक शक्ति के विकास की आवश्यकता है। हमारे राष्ट्र भक्तों ने राष्ट्र भक्ति का नशा किया और चरित्रिक विकास से ओतप्रोत हो भारत माता को स्वतंत्रता दिलाई। चरित्र भारत भूमि का आधार है और आज उसी धर्म भूमि भारत में अधिकतर युवा शक्ति का चरित्रिक पतन हो रहा है। आवश्यकता है कि युवाओं को ब्रह्मज्ञान की शक्ति से जाग्रत होकर राष्ट्र में भूमिका निभाने की। आज के युवाओं के आदर्श यदि स्वामी विवेकानंद, शिवाजी, दयानंद सरस्वती, चाणक्य इत्यादि होंगे तो भारत को फिर से जगतगुरु के पद पर आसीन किया जा सकता है। कार्यक्रम में साध्वी बागीशा भारती, जसपाल भारती व हरीदीपिका भारती ने शिव महिमा से ओतप्रोत भजनों से झूमने पर मजबूर कर दिया।