पाकिस्तान का 'कसूर' भारत के लिए बना नासूर, जानेंं क्या है पूरा मामला...
सतलुज नदी भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सरहद को सात बार क्राॅस करती है। जब यह पाकिस्तान से भारत की ओर आती है तो इसमें केमिकल युक्त जहरीला पानी आता है।
फिरोजपुर [प्रदीप कुमार सिंह]। सतलुज नदी भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सरहद को सात बार क्राॅस करती है। फिरोजपुर से फाजिल्का जिले तक सतलुज की धारा कभी पाकिस्तान में बहती है तो कभी भारत में। वर्तमान समय में सतलुज नदी में आई बाढ़ ने अंतरराष्ट्रीय सरहद को भी कई जगह पर अपनी चपेट में घेर रखा है। इससे दोनों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा है।
1988 के बाद यह पहला मौका है जब भाखड़ा डैम का जलस्तर उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है। सतलुज नदी में विगत वर्षों में कई बार ऐसे मौके आए, परंतु इस बार पाकिस्तान से घूमकर आने वाली सतलुज की धारा का पानी ज्यादा चर्चा में है। यह चर्चा पाकिस्तान के कसूर जिले की चमड़ा व दूसरी फैक्टरियों की ओर से सतलुज के रास्ते भारतीय सीमा में छोड़े जा रहे केमिकल वाले जहरीले पानी को लेकर है। यह पानी जीव-जंतुओं व जमीन के लिए भी नुकसानदायक है। पाक के कसूर जिले में चलने वाली चमड़ा फैक्टरियों का यह जहरीला पानी बिना किसी फिल्टर के भारतीय हिस्से में सतलुज के रास्ते छोड़ा जा रहा है।
हरिके हेड से निकलने के बाद सतलुज दरिया फिरोजपुर जिले के बस्ती रामलाल के पास दो धाराओं में बंट जाती है, जिसकी एक धारा हुसैनीवाला हेड सीधे पहुंचती है। जबकि दूसरी धारा बस्ती रामलाल से निकलकर पाकिस्तान के कसूर जिले में प्रवेश करती है। जहां पर यह लगभग 22 से 25 किलोमीटर के दायरे में घूमकर फिरोजपुर जिले के टिंडीवाला गांव के पास फिर भारत में प्रवेश करती है। इसके अलावा पाकिस्तान में नदी की दो और धाराएं विभाजित हो जाती हैं, जिनमें एक फिरोजपुर के गांव राजोके गट्टी और दूसरी राजोके गट्टी व हुसैनीवाला बार्डर के बीच दरिया की मुख्य धारा से जुड़ती है।
सभी धाराएं एकसाथ जुड़कर हुसैनीवाला हेड पहुंचती हैं, जहां से पाकिस्तान में फिर प्रवेश करती हैं। पाकिस्तान में प्रवेश करने के बाद यह नदी एक फिर फिरोजपुर जिले के ममदोट ब्लॉक में लौट कर आती है और यहां से एक फिर पाकिस्तान जाने के बाद फाजिल्का जिले में आती है और अंतत: पाकिस्तान के बहावलपुर जिले में चली जाती है।
पाक ने अपने हिस्से में बना रखा है मजबूत बांध
पाकिस्तान ने हुसैनीवाला हेड से छोड़े जाने वाले पानी से बचने के लिए सीमा से सटे हिस्से में मजबूत बांध बना रखा है। यहां से वह अपनी जरूरत से ज्यादा दरिया के पानी को रोक लेते हैं, जोकि बांध से टकराकर वापस भारतीय सीमा में लौटता है। भारतीय सीमा में वापस लौटकर यह पानी फाजिल्का में बाढ़ के रूप धारण कर लेता है।
पाक से सटे भारतीय हिस्से का पानी पीने लायक नहीं
पाकिस्तान से सटे भारतीय हिस्से के गांवों का जमीनी पानी पीने योग्य नहीं है। इसका खुलासा भाभा एटमिक रिसर्च सेंटर की से सात साल पहले लिए गए पानी के सैंपलों से हो चुका है। वर्तमान में पाकिस्तान के कसूर जिले से सटे भारतीय क्षेत्र के दरिया वाले हिस्सों के जमीनी पानी में कैमिकल अधिकता इस इतनी बढ़ गई इतनी कि हैंडपंप से बाल्टी में भरा गया पानी कुछ ही मिनटों में पीला पड़ जाता है। पानी में लेड, कार्बन, पारा व अन्य कई ऐसे जहरीले तत्व हैं, जोकि कैंसर, हेपेटाइटिस सी व अन्य बीमारियों का कारण बन रहे हैं।
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