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स्वर्णकार के लिए मिट्टी, राजेंद्र के लिए सोना

दर्शन ¨सह, फिरोजपुर : सुनार कारीगिरी के दौरान भले ही सोने का एक-एक कण बाहर जाने से

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 10:50 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:50 PM (IST)
स्वर्णकार के लिए मिट्टी, राजेंद्र के लिए सोना
स्वर्णकार के लिए मिट्टी, राजेंद्र के लिए सोना

दर्शन ¨सह, फिरोजपुर : सुनार कारीगिरी के दौरान भले ही सोने का एक-एक कण बाहर जाने से बचाने का प्रयास करते हैं, मगर उसके फेंके गए कचरे व मिट्टी से कुंदन के कुछ अंश शेष रह ही जाते हैं, जिसे कचरा व मिट्ठी समझ कर फेंक दिया जाता है। इसी मिट्टी से बस्ती आवा का रहने वाला राजेंद्र कुमार अपनी पेट की भट्ठी से सोने के कण निकाल रहे हैं। वह इस तकनीक से बीते दो दशकों से जुड़ा हुआ है। एक तरह तड़के के समय अधिकांश लोग नींद में होते है ,लेकिन वह दुकानों के आगे पहुंच जाता है और अपना काम शुरू कर देता है। बुर्जुगों से मिली इस कला के चलते ही वह अपने परिवार का पालन कर रहा है।

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विरासत में मिली तकनीक

रविवार की सुबह शहर के मेन बाजार स्थित सुनार की एक दूकान के आगे अपने जीजा के साथ बिखरी मिट्टी को इकट्ठा करते राजेंद्र ने बताया कि उसे मिट्टी से सोने के कण निकालने की कला मिली थी और उसके दादा जारू भी मिट्टी से सोने के कण निकालने का माहिर था। उसके दादा व पिता विजय कुमार के समय के दौरान सीवरेज सिस्टम नही था और दुकानों के आगे खुली नालियां थी इन नालियों से बहते पानी से भी गार को साफ किया जाता था। लेकिन अंडर ग्राऊंड सीवरेज सिस्टम के बाद नालियां तो बंद हो चुकी है और दादा व पिता की मौत के बाद वह अकेला बचा है जो इस कला को जारी रखे हुए है ।दादा व पिता के समय उनकी बस्ती का रहने वाले भागा, शामा व ¨छदर भी इस तकनीक को अपनाते रहे ।

सोने के कण निकालने की कुछ इस तरह बताई तकनीक

राजेंद्र कहता है कि अब वह अपना काम सुनार की दुकानों के आगे बिखरी मिट्टी से चल रहा है । वह घर से सुबह की निकल पड़ता है और इन दुकानों के आगे बिखरी मिट्टी को ब्रश से इक्ट्ठा कर लेता है । जमा की मिली को पहले वह पानी में साफ करता है और बाद में जो मिट्टी का समान बचता है उसे तेजाब में धोता हूं और फिर आखिर में सोने के कण निकालने के लिए पारे का इस्तेमाल होता है ।

प्रति दिन हो जाता है 5 से 6 सौ रुपये का जुगाड़

कला के माहिर ने बताया कि भले ही उसे सुबह के समय मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इसी मेहनत के कारण ही वह प्रति दिन परिवार के गुजारे के लिए 5 सौ रुपये से लेकर6 सौ रुपये का जुगाड़ कर लेता है । सोने को कण मिट्टी से निकलते है वह शहर की इन्हीं दुकानों में बेच देता है । हालांकि दूसरी तरफ इस मामले में सुनार कहते है कि उनकी तरफ से दुकान के बाहर मिट्टी का तक बाहर नही जाने दी जाती ,लेकिन इसके बावजूद राजेंद्र मिट्टी से सोने के कण निकाल लेता है ।


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