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संतों के बिना आत्मा का उत्थान नहीं हो सकता : अरुण मुनि

संघशास्ता शासन प्रभावक गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य श्री अरुण मुनि महाराज ने प्रवचन किए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 06:45 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 06:45 AM (IST)
संतों के बिना आत्मा का उत्थान नहीं हो सकता : अरुण मुनि
संतों के बिना आत्मा का उत्थान नहीं हो सकता : अरुण मुनि

संस, लुधियाना :

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एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता शासन प्रभावक गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव श्री अरुण मुनि महाराज के सानिध्य में प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ। अरुण मुनि म. ने कहा कि संत जहां आ जाते है, वहीं बसंत आ जाता है। जिस तरह बसंत के बिना पृथ्वी खत्म हो जाएगी। उसी प्रकार से संतों के बिना आत्मा का उत्थान नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि बारिश के दो महीने सावन और भादो हमें काफी संदेश दे रहे हैं। श्रावण का महीना कह रहा है। गुरुओं से जिन वाणी का श्रवण करो। भगवान की वाणी सुनो। भादो भी कह रहा है कि अपने भावों को बढ़ाओ, साथ ही आसोज का महीना कह रहा है आस्था को बढ़ाओ। क्योंकि आस्था है तो बंद द्वार में भी रास्ता है। कार्तिक का महीना कह रहा है। कि अपने आत्मा का कल्याण करो। आज से चार बातों पर चर्चा करेंगे- समर्थ के लिए। क्षमा भाव को धारण करना बड़ा मुश्किल है। महाभारत का अमर वाक्य है- क्षमा वीर भूषणम', अर्थात क्षमा वीरों का गहना है।

उन्होंने कहा कि एक पेड़ भी कितना सहन करता है। गर्मी, सर्दी, धूप, बारिश सब सहन करता हूं। तब जाकर वो अपने मीठे-मीठे फल खाने को मिलते है। आप ये मत समझो कि क्षमा करना दुर्बलता का प्रतीक है, बल्कि ये तो सबलता का प्रतीक है। क्षमा का भाव मन में बहुत जरुरी है। क्षमा का अर्थ सहना भी होता है। भले ही लड़ लेना, झगड़ लेना, पिट जाना, पीट देना मगर बोलचाल बंद मत करना। क्योंकि बोलचाल के बंद होते ही सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं।


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