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अच्छे स्वभाव से ही इंसान बनता है प्रशंसा का हकदार : स्वामी कमलानंद

श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरी ने कहा कि दूध स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 12:34 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:10 AM (IST)
अच्छे स्वभाव से ही इंसान बनता है प्रशंसा का हकदार : स्वामी कमलानंद
अच्छे स्वभाव से ही इंसान बनता है प्रशंसा का हकदार : स्वामी कमलानंद

जागरण संवाददाता, फिरोजपुर : श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरी ने कहा कि दूध स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। मगर यदि उसमें चीनी की बजाय नमक डाल दिया जाए तो वह पीने योग्य नहीं रहता। भोजन स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन उसमें नमक की जगह चूर्ण डाल दिया जाए तो भोजन खराब हो जाता है। कुछ इसी प्रकार मनुष्य जन्म है, अगर मनुष्य जन्म को सुधारना है तो इसे सही दिशा में लेकर चलो। प्रभु सिमरन करते रहो। अगर मनुष्य जन्म पाकर भी प्रभु सिमरन न किया तो समझो दूध में चीनी की जगह नमक व भोजन में नमक की जगह चूर्ण डाल हम अपने जन्म को खराब कर रहे हैं।

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स्वामी जी ने ये विचार मोची बाजार के श्री नीलकंठ मंदिर में करवाई जा रही श्री राम कथा में प्रवचनों की अमृतवर्षा करते व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अगर किसी मनुष्य के पास अकूत धन, सत्ता व सौंदर्य है। मगर उसका स्वभाव नीम की तरह कड़वा, मिर्च की तरह तीखा, नींबू की तरह खट्टा है तो ऐसे मनुष्य की धन-दौलत, सौंदर्य व सत्ता उसके लिए किसी भी तरह प्रशंसा का कारण नहीं बनेंगे। मनुष्य का स्वभाव अच्छा होना चाहिए तभी वह प्रशंसा का हकदार बनता है।

स्वामी ने कहा कि किसी से कड़वे वचन न बोलें। मनुष्य की प्रेम से भरी मीठी नजर ही बड़े से बड़े द्वेष को खत्म करने के लिए काफी है, इसलिए सभी से मीठा बोलो। जिदगी तीन पन्ने की किताब का नाम है। उसमें पहला पृष्ठ है जन्म, जो मनुष्य को लिखा हुआ ही मिला है। तीसरे पृष्ठ का नाम है मृत्यु, वह भी लिखा हुआ है। दूसरे नंबर का पन्ना है जीवन का, जो मनुष्य को कोरा ही मिलता है, उस पर क्या लिखना है यह मनुष्य पर खुद निर्भर करता है। उस पृष्ठ पर मनुष्य जो लिखेगा, जैसा लिखेगा उसी के आधार पर तीसरे नंबर का पन्ना मिलने वाला है। अर्थात मृत्यु का यह पृष्ठ निश्चित है, मगर यह पृष्ठ उज्जवल मिलेगा या मलिन, इसका निर्णय मनुष्य खुद जीवन के दूसरे पन्ने में लिखकर कर सकता है। अर्थात मनुष्य को कोरे जीवन में खुशियों का रंग खुद ही भरना पड़ता है। कथा के दौरान मंदिर कमेटी के अध्यक्ष कमलेश वोहरा, शिव धवन, राकेश अग्रवाल, त्रिलोचन चोपड़ा, अरविद बांसल, राकेश अग्रवाल, हरीश गोयल, सतपाल शर्मा, बलविदर खुंगर, प्रदीप कक्कड़ आदि उपस्थित थे। इस दौरान अटूट लंगर लगाया गया।

श्रीराम कथा दर्पण समान, इसके जरिए देखें खुद का व्यक्तित्व

चौपाई च्रामायण सुरधेनु समाना, दायक अभिमत फल कल्याणा का अर्थ बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि रामायण कामधेनु के समान है। सेवा करने वाले को मनवांछित फल देती है। इस रामायण के गुणों की गणना कौन कर सकता है। इसका प्रभाव चिंतामणि के समान है। श्रीराम कथा एक दर्पण है। ठीक ध्यान से अगर कोई इसका चिंतन मनन करे, इसकी उपासना करे, नित्य पारायण करे, गाए व सुने तो दृढ़ विश्वास है कि कथा के अंत में उसे अपना अभाव, जीवन की त्रुटियां, खामियां, दोष कहां हैं और पतित पावन परमात्मा का प्रभाव कैसा है इन बातों का निर्णय हो जाएगा।


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