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पाबंदी फि र भी लिफाफों से शहर बंदी

पॉलीथिन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। पाबंदी के बावजूद इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। बाजारों में दुकानों व रेहड़ियां और अन्य जगहों पर खुलेआम प्लास्टिक के लिफाफों का इस्तेमाल किया जा रहा है। नगर कौंसिल कभी कभार चंद चालान काट कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेती है। वह भी रेहड़ियों वालों या छोटे दुकानदारों के। छोटे दुकानदारों व रेहड़ी वालों का आरोप है कि नगर कौंसिल के कर्मी उनके लिफाफे उठाकर ले जाते हैं जबकि वह तो काफी कम मात्रा में अपनी दुकानदारी चलाने के लिए लाते हैं लेकिन बड़े होलसेल दुकानदारों पर नगर कौंसिल हाथ नहीं डालती। उनका कहना है कि अगर वहां से ही लिफाफे मिलने बंद हो जाएं तो कोई लाए ही ना। शहर का सीवरेज सिस्टम अक्सर पॉलीथिन से भरा मिलता है। इसके चलते नालियां और नाले जाम हो जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 11:03 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 11:03 PM (IST)
पाबंदी फि र भी लिफाफों से शहर बंदी
पाबंदी फि र भी लिफाफों से शहर बंदी

राज नरूला, अबोहर : पॉलीथिन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। पाबंदी के बावजूद इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। बाजारों में दुकानों व रेहड़ियां और अन्य जगहों पर खुलेआम प्लास्टिक के लिफाफों का इस्तेमाल किया जा रहा है। नगर कौंसिल कभी कभार चंद चालान काट कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेती है। वह भी रेहड़ियों वालों या छोटे दुकानदारों के। छोटे दुकानदारों व रेहड़ी वालों का आरोप है कि नगर कौंसिल के कर्मी उनके लिफाफे उठाकर ले जाते हैं जबकि वह तो काफी कम मात्रा में अपनी दुकानदारी चलाने के लिए लाते हैं, लेकिन बड़े होलसेल दुकानदारों पर नगर कौंसिल हाथ नहीं डालती। उनका कहना है कि अगर वहां से ही लिफाफे मिलने बंद हो जाएं तो कोई लाए ही ना। शहर का सीवरेज सिस्टम अक्सर पॉलीथिन से भरा मिलता है। इसके चलते नालियां और नाले जाम हो जाते हैं। इतना ही नहीं, यह लिफाफे कूड़े के ढेर पर देखे जा सकते हैं जिनको आग लगा दी जाती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वहीं लोगों में भी जागरूकता का अभाव है वह भी घर से कपड़े का थैला उठाने की जहमत नहीं उठाते।

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पॉलीथिन की सुविधा आज सबसे बड़ी दुविधा

सेवानिवृत्त स्काउट कमीश्नर दर्शन लाल चुघ का कहना है कि पॉलीथिन का बढ़ता उपयोग न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी खतरनाक होता जा रहा है। पहले जब खरीदारी करने जाते थे तो कपड़े का थैला साथ होता था, किन्तु आज खाली हाथ जाकर दुकानदार से पॉलीथिन मांगकर सामान लाते हैं। पहले अखबार के लिफाफे होते थे लेकिन अब उसके स्थान पर पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है। सुविधा के लिए बनाई पॉलीथिन आज सबसे बड़ी असुविधा का कारण बन गई है। प्राकृतिक तरीके से नष्ट न होने के कारण यह धरती की उर्वरक क्षमता को धीरे-धीरे समाप्त कर रही है।

जहरीला धुआं स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

अबोहर विकास मंच के संरक्षक गगन चुघ का कहना है कि प्लास्टिक का प्रयोग जीवन में सर्वाधिक होने लगा है। इसका प्रयोग नुकसानदायक है, जानते हुए भी हम धड़ल्ले सेइस्तेमाल कर रहे हैं। यदि इसके प्रयोग पर रोक लगे तो बात बने। प्लास्टिक को जलाने से भी नुकसान होगा। इसका जहरीला धुआं स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

पशुओं की मौत का कारण है प्लास्टिक

श्री बाला जी समाजसेवा संघ के प्रधान गगन मल्होत्रा का कहना है कि पॉलीथिन की पन्नियों में लोग कूड़ा भरकर फेंकते हैं। कूड़े के ढेर में खाने का सामान खोजते हुए पशु पन्नी निगल जाते हैं। ऐसे में पन्नी उनके पेट में चली जाती है। बाद में ये पशु बीमार होकर दम तोड़ देते हैं।

कार्रवाई के बावजूद नहीं रूक रहा प्रयोग

नगर कौंसिल के सेनेटरी इंस्पेक्टर अश्वनी मिगलानी से इस मामले पर बात करने पर उन्होंने कहा कि वह समय समय पर दुकानों व रेहड़ी वालों के चालान काटते हैं व लिफाफे जब्त भी कर लिए जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद इनका इस्तेमाल नहीं रुक रहा।

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