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60 साल से रामलीला का मंचन कर रहे राधेमोहन

शौक का कोई मूल्य नहीं होता। सीमावर्ती जिले में रहने वाले राधेमोहन शर्मा पर स्कूल अवस्था में ऐसा शौक चढ़ा कि वह रामलीला के नंबर वन कलाकार बन गए और पिछले 60 सालों से रामलीला के विभिन्न रोल करने के साथ-साथ डायरेक्टर पद पर सुशोभित हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 10:13 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 10:13 PM (IST)
60 साल से रामलीला का मंचन कर रहे राधेमोहन
60 साल से रामलीला का मंचन कर रहे राधेमोहन

तरूण जैन, फिरोजपुर : शौक का कोई मूल्य नहीं होता। सीमावर्ती जिले में रहने वाले राधेमोहन शर्मा पर स्कूल अवस्था में ऐसा शौक चढ़ा कि वह रामलीला के नंबर वन कलाकार बन गए और पिछले 60 सालों से रामलीला के विभिन्न रोल करने के साथ-साथ डायरेक्टर पद पर सुशोभित हैं।

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72 वर्षीय राधे मोहन शर्मा ने बताया कि बचपन में स्कूल अध्यापक उन्हें रामलीला में रोल करवाने के लिए ले गए। वर्ष 1962 में पहली बार उन्होंने रामा नाटक क्लब कैंट की रामलीला में राजा हरिशचंद्र के ड्रामे में रोहित का रोल किया। इसके बाद रामलीला क्लबों में क्रमानुसार भरत, लक्ष्मण व राम सहित अन्य रोल किए। राधेमोहन ने बताया कि वर्ष 1981 में मार्केट कमेटी में होने वाली रामलीला में लक्ष्मण का रोल कर रहे थे तो उनका साथी गोपाल शर्मा इंद्रजीत मेघनाद का रोल कर रहा था। इस दौरान युद्ध में उनकी आंख में तीर लगने से उसकी आंख की रोशनी सदा के लिए चली गई थी। इसके बाद डायरेक्टर बनकर रामलीला के कलाकारों को तैयार कर रहे है।

पिछले 25 वर्ष से सनातन धर्म सभा मंदिर कमेटी में रामलीला इंचार्ज के पद पर विराजमान राधेमोहन ने कहा कि रामलीला के सभी गीत, डायलॉग उन्हें कंठस्थ याद है और वह कलाकारों को पूरी शिद्दत, श्रद्धा व लगन के साथ रामलीला में रोल करने के लिए प्रेरित करते हैं। हनुमान ने किया लंका का दहन

श्री सनातन धर्म प्रचारक राम नाटक क्लब की ओर से करवाई जा रही रामलीला में बुधवार रात लंका दहन का शानदार मंचन किया गया। इस दौरान दिखाया गया कि हनुमान जी रावण की लंका में प्रवेश कर माता सीता से मिले और उन्हें प्रभु श्री राम जी की अंगूठी भेंट कर उनके सकुशल होने का संदेश दिया।

इसके बाद हनुमान जी ने वाटिका से फल खाने के बाद पूरी वाटिका को तहस नहस कर दिया। इसके बाद जब रावण के पुत्र मेघनाद ने उन्हें बंदी बनाकर लंका में पेश किया तो रावण के आदेशों पर हनुमान जी की पूंछ को आग लगाने पर हनुमान जी ने पूरी लंका को ही जला डाला और जय श्री राम के नारे लगाते हुए वहां से रवाना हो गए और प्रभु श्री राम से मिलकर उन्हें मां सीता की कुशलता का समाचार सुनाया। कार्यक्रम के मुख्यातिथि डा. हर्ष वधवा, पिरथी राज सेवट थे, जिन्होंने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की।


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