दानियों के सहयोग से 250 गोधन की हो रही संभाल
सड़कों पर बेसहारा हालत में घूम रहे गोवंश से मुक्ति दिलवाने में राज्य सरकार नाकाम साबित हो रही है । सरकार द्वारा काऊ सैस के रूप में वसूले जाने करोड़ो रुपये का स्थानीय गोशालाओ को भी कोई फायदा नहीं हो रहा है।
तरूण जैन, फिरोजपुर
सड़कों पर बेसहारा हालत में घूम रहे गोवंश से मुक्ति दिलवाने में राज्य सरकार नाकाम साबित हो रही है । सरकार द्वारा काऊ सैस के रूप में वसूले जाने करोड़ो रुपये का स्थानीय गोशालाओ को भी कोई फायदा नहीं हो रहा है। सरकार से फंड न मिलने के बावजूद लोगों के सहयोग से गोशाला संस्थाएं गोधन की संभाल में जुटी हुई हैं।
छावनी की गोपाल गोशाला में 250 गोधन की संभाल की जा रही है। 1992 में प्रसिद्ध एडवोकेट अर्जुन सिंह चावला द्वारा स्थापित इस गोशाला में गोधन की संभाल हेतू मासिक करीब तीन लाख रुपये का खर्च आता है।
गोशाला इंचार्ज अशोक गुप्ता बताते हैं कि गोशाला में 22 गाय दूध देती हैं और रोज 110 किलो दूध आता है। करीब 4 एकड़ में बनी इस गोशाला में 14 लोग दिन-रात गोधन की सेवा में जुटे रहते हैं। गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन भी है, ताकि शमशान में इसकी लकड़ी से शव का संस्कार किया जाए और वृक्षों को बचाकर पर्यावरण संरक्षण किया जा सके।
अशोक गुप्ता बताते हैं कि गोशाला में 54 वर्षीय डा. मदन लाल द्वारा रोजाना गऊओं की मरहम पट्टी की जाती है। सरकार की तरफ कभी एक-दो बार ही डॉक्टर भेजे जाते है।
------------------------- फिरोजपुर में नहीं बनी गोशाला
अकाली-भाजपा शासन में राज्य के 22 जिलों में सरकारी गोशाला बनाने का वादा किया गया था, मात्र फिरोजपुर ऐसा जिला है, जहां पर अभी तक गोशाला तैयार नहीं हो पाई है जिसका मुख्य कारण कोर्ट में विवाद बताया जा रहा है। प्रशासन द्वारा मक्खू के गांव सूदा में 43 लाख की लागत से गोशाला बनाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कुछ लोगो ने इसको लेकर कोर्ट की शरण ली जोकि मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।
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नहीं मिलती सरकार से सहायता
गोशाला प्रधान राकेश अग्रवाल बबली ने कहा कि जब से काऊ सेस लगा है, तब से अब तक सरकार से कोई भी ग्रांट उन्हें नहीं मिली है। बिजली का बिल 69 हजार रुपये गोशाला का पेंडिग है। यह गोशाला एनिमल वेलफेयर बोर्ड और पंजाब गो सेवा कमिशन से रजिस्टर्ड होने के बावजूद कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिली है। पांच वर्ष पहले कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा वर्ष का 2 लाख रुपये उनकी गोशाला को देने को कहा था और इसके बदले में छावनी की बेसहारा गोवंश की संभाल की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन एक साल ही पेमेंट मिलने के बाद अब तक उनहें कोई राशि नहीं मिली है। -------------------- गोपाल अष्टमी पर गूंजते हैं नारे
गोपाल अष्टमी के उपलक्ष्य में विभिन्न गऊ प्रेमी संस्थाओं द्वारा कार्यक्रम किए जाते हैं। श्रद्धालु गऊ के खूब नारे भी लगाएंगे, लेकिन बेबस हालत में घूम रही गऊ को संभालने में आगे आने पर कम ही लोगों का ध्यान है। गऊ सेवक अनुज गोयल, विशाल गर्ग, मोहन, रोहित देवगन, मनीश शर्मा ने कहा कि गऊ सेवा करने से उन्हें ईश्वरीय भक्ति जैसा महसूस होता है।