एक जल संरक्षण तो दूसरा जल बचाने का पढ़ा रहा पाठ
पवन पानी पिता गुरू की इस बाणी को उस राज्य के लोगों ने बिल्कल ही भूला दिया जिस राज्य में कभी दूध की नदियां बहा करती थी।
जतिन्द्र पिकल, फिरोजपुर
पवन गुरु पानी पिता, गुरु की इस बाणी को पंजाब के लोगों ने बिल्कुल ही भूला दिया, जिस राज्य में कभी दूध की नदियां बहा करती थी। पंज-आब, पंजाब जिसे पांच दरियाआों का राज्य भी कहा जाता था। हालांकि मौजूदा समय में पानी का संकट शुरू हो चुका है। पानी के दिन प्रतिदिन गिर रहे स्तर को न तो संभाला जा रहा है और न ही उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
पंजाब जैसे खुशहाल राज्य में कभी मात्र 30-35 फीट नीचे ही पानी शहद जैसा मीठा व गुणों से भरपूर होता था, लेकिन स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में पानी का स्तर गिरकर करीब 250-300 फीट हो चुका है वह भी गुणवत्ता के नाम पर गुण खत्म हो रहे है। भले ही इसके लिए सरकारें करोड़ों रूपये खर्च करके जल बचाने के लिए जागरूक कर रही है, लेकिन अब मात्र जागरूकता ही नहीं, बल्कि इसे अमली रूप देने का समय आ गया है। आरओ के पानी से करना होगा परहेज शहरवासी समाजसेवक विजय विक्टर ने करीब 12 साल पहले जल संरक्षण का बीड़ा उठाया, जिसके लिए लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने करीब 200 से भी अधिक कविताएं, गीत व अन्य लेखन सामग्री को जनता के सामने पेश किया है। इसके साथ ही स्कूलों व कॉलेजों में जाकर बच्चों व युवाओं को पानी बचाव के लिए जागरूक कर रहे है। इसके साथ ही जहां भी जाते है जल बचाव के लिए हरसंभव प्रयास करते नजर आते है। उनका मानना है कि भले ही पहले से इस बारे में जागरूकता आई है, लेकिन समय की मांग के मुताबिक व नाकाफी है।
दुनिया के अन्य देशों में आरओ के पानी को पीने के लायक नहीं समझा जाता है, लेकिन हैरत की बात है कि भारत देश चांद पर पहुंच चुका है, लेकिन आरओ का प्रयोग करीब 90 प्रतिशत से अधिक लोग करने लगे है। मौजूदा समय मात्र जागरूकता ही नही अब इस पर अमल करने का समय आ गया है और इसके लिए अकेले सरकार ही नहीं, लोगों को भी इस पर अमल करना होगा तभी हम आने वाली पीढि़यों को जीवन के लिए सबसे जरूरी जल की सौगात दे सकेंगे। नही तो नतीजा सबके सामने आ ही रहा है।
गिर रहा पानी का स्तर व पानी की गुणवत्ता की दोहरी मार : डॉ. सतिद्र
शिक्षा के लिए हर समय प्रयासरत नेशनल अवॉर्डी डॉ. सतिंद्र सिंह के मुताबिक पानी के गिर रहे स्तर व उस पर पानी की खत्म हो रही गुणवत्ता पंजाब के लोगों के लिए पानी के प्रति दोहरी मार है। इसी का फायदा पानी बेचने वाली कंपनियां उठा रही है। अंग्रेजों के जमाने में एक-एक प्याओ एक्ट बनाया गया था, जिसके तहत किसी भी जगह पर आने वाले किसी भी व्यक्ति को बिना पानी पिलाए नहीं जाने दिया जाता था, जबकि उस पानी की गुणवत्ता का भी पूरा ख्याल रखा जाता था।
इस खुशहाल राज्य के लिए इससे अधिक नमोशी वाली बात क्या होगी कि मौजूदा समय में किसी भी रेस्तरां या किसी होटल में जाकर पानी की बोतल के लिए 30 रूपये से लेकर 100 रूपये तक भी देना पड़ता है और इसी के जरिये कंपनियों की तरफ से कथित तौर पर करीब 700 प्रतिशत कमाई की जा रही है। डॉ. सतिन्द्र सिंह के मुताबिक घर बनाते समय रेन हार्वेस्टिग सिस्टम अपनाना जहां समय की मांग है वहीं आने वाली पीढि़यों के लिए यदि हमें कुछ करना है तो सबसे पहले इस सिस्टम को लागू करना होगा।
इस सिस्टम के जरिये घर को इस तरह बनाया जाता है कि बारिश का पानी का सीधा पानी धरती में मिले, जिसके चलते जहां धरती उपजाऊ बनती है वहीं पर पानी का स्तर व उसकी गुणवत्ता भी कायम रहती है।