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गोलबाग का वेटरनरी अस्पताल खुद बीमार,जानवरों की कैसे हो पाएगा इलाज

जो खुद बीमार है वह दूसरों का कैसे करेगा इलाज वाली कहावत फिरोजपुर शहर के गोलबाग स्थित वेटरनरी अस्पताल पर फिट बैठ रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 11:18 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 06:14 AM (IST)
गोलबाग का वेटरनरी अस्पताल खुद बीमार,जानवरों की कैसे हो पाएगा इलाज
गोलबाग का वेटरनरी अस्पताल खुद बीमार,जानवरों की कैसे हो पाएगा इलाज

दर्शन सिंह,फिरोजपुर : जो खुद बीमार है वह दूसरों का कैसे करेगा इलाज वाली कहावत फिरोजपुर शहर के गोलबाग स्थित वेटरनरी अस्पताल पर फिट बैठ रही है। दयनीय हालत के कारण ये अस्पताल खुद बीमार दिखाई दे रहा है। कारण यह है कि न तो इसकी दीवारें है और न ही सफाई का प्रबंध। खुले में नजर आ रहे इस अस्पताल में सुरक्षा प्रबंधों का भी नामोनिशान नहीं है। यहीं कारण है कि इलाके में एक मात्र अस्पताल होने के बावजूद यहां की ओपीडी में नाममात्र ही होती है। विभिन्न नस्लों के जानवरों का इलाज होने के बावजूद यहां पर लोग कम ही आते हैं। डेयरी विकास के लिए पशु पालकों को पशु पालने पर जोर देने वाली सरकार के दावे भी इस अस्पताल की हालत देख हवाई हो रहे हैं ।

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-2 एकड़ में फैले अस्पताल का 1997 में किया गया था उद्घाटन-

गोलबाग की दो एकड़ जमीन पर बने इस अस्पताल का उद्घाटन अगस्त 1997 के दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने किया था। करीब 23 साल बीत चुके है, लेकिन खस्ता हालत हो चुके अस्पताल की मरम्मत के लिए सरकारों ने फंड जारी नहीं किया। उद्घाटन के बाद पशु पालकों की ओर से अपने जानवरों का इलाज करवाने की भरमार रही, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, अस्पताल की हालत बिगड़ती गई। लोगों ने यहां आना कम कर दिया । स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मौजूदा समय में 30 -35 के आसपास ही अस्पताल की ओपीडी रह गई है। इस बात की पुष्टि अस्पताल के संचालक डॉ. गुरविदर सिंह ने की है ।

खस्ता हालत में अस्पताल न है दीवारें

एक भी दीवार न होने व सुरक्षा के प्रबंधों का नामोनिशान न दिखाई देने पर ऐसा लग रहा था जैसे अधिकारियों को अस्पताल की ध्यान ही न हो । इमारत की दीवारों में दरारें आ चुकी हैं,शीशे टूटे चुके हैं। सफाई का भी विशेष प्रबंध नहीं। पशुओं को काबू करने के लिए शिकंजा रूपी जगह भी दिखाई नही दे रही थी। क्वार्टरों की हालत भी सरकार व अधिकारियों की लापरवाही पर आंसू बहा रही थीं। गंदगी में घिरे अस्पताल को लोग घरेलू इस्तेमाल के लिए प्रयोग कर रहे हैं ।

पशु बांधने के लिए इस्तेमाल हो रही अस्पताल की जगह--

अस्पताल के प्रबंधकों की लापरवाही की बात करें तो मुख्य गेट के सामने खाली पड़ी परिसर नामक जगह को लोग इस्तेमाल कर वहां अपने पशु बांधने का काम कर रहे हैं ।दीवारें न होने के कारण बस्ती के रहने वाले लोगों ने रास्ते बना रखे हैं जो सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोल रहे हैं ।

-- अस्पताल इंचार्ज का कहना सरकार नही जारी कर रही ग्रांट

डॉ. गुरविदर सिंह ने अस्पताल की बिगड़ चुकी हालत को स्वीकार करते कहा कि उनकी तरफ से हर दो या फिर तीन माह बाद सरकार को पत्र लिख मरम्मत करवाने के लिए फंड जारी करने की मांग की जा रही है,लेकिन जितनी बार लिखा गया कोई सुनवाई नही हुई।अगर ऐसा चलता रहा तो अस्पताल का एक दिन अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा ।


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